RANCHI : रिम्स में अटेंडेंट रेस्ट हाउस बनाया गया था ताकि मरीजों के परिजनों को रात गुजारने में कोई दिक्कत ना हो। लेकिन इससे होने वाली कमाई किसकी जेब में जा रही है इसका कोई हिसाब नहीं है। क्योंकि संचालन का टेंडर साल भर पहले ही खत्म हो गया है। इसके बावजूद रिम्स प्रबंधन द्वारा नया टेंडर नहीं निकाला जा रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किसको लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझ कर अटेंडेंट रेस्ट हाउस का टेंडर नहीं निकाला जा रहा है।

मंथली 1.35 लाख इनकम

विश्राम गृह में 90 कमरे हैं, जहां ठहरने के लिए लोगों को एक दिन के लिए 50 रुपए चार्ज देना होता है। ऐसे में एक दिन की कमाई 4500 रुपए है। वहीं महीने का हिसाब लगाया जाए तो संचालक को 1 लाख 35 हजार रुपए आमदनी होती है। इसके बावजूद रिम्स प्रबंधन मामले को लेकर गंभीर नहीं है। वहीं कमाई का पूरा पैसा संचालक की जेब में जा रहा है।

सभी 90 कमरे रहते हैं फुल

हॉस्पिटल में ट्रामा सेंटर के पीछे 90 कमरों वाला अटेंडेंट रेस्ट हाउस बनाया गया है, जिसमें हर दिन हॉस्पिटल में इलाज करा रहे मरीजों के परिजन ठहरते हैं। इस वजह से अटेंडेंट रेस्ट हाउस के सभी कमरे फुल रहते हैं। वहीं खाली होने पर ही दूसरे परिजनों को उपलब्ध कराया जाता है।

वर्जन

ऐसी कोई जानकारी तो फिलहाल नहीं है। अगर टेंडर खत्म हो चुका है तो टेंडर के लिए मामला जीबी की बैठक में उठाया जाएगा। इसके बाद इसके संचालन को लेकर नया टेंडर होगा।

गिरजा शंकर प्रसाद, डिप्टी डायरेक्टर, रिम्स