सिविल लाइंस से मेला एरिया तक नहीं चले कोई वाहन

कई किमी पैदल चलने के बाद बस के इंतजार में बीता समय

बसों में रूट नही लिखा होने से यात्रियों को हुई दिक्कत

PRAYAGRAJ: दिनभर स्नान-ध्यान और शाम को घर पहुंचने की जल्दी। मकर संक्रांति स्नान पर यही देखने को मिला। हालांकि, परिवहन व्यवस्था की कुछ खामियों से यात्रियों को दिक्कत का सामना जरूर करना पड़ा। खासकर शटल बसों में रूट नही लिखा होने से लोग इधर-उधर भटकते रहे। जिनको सही बस मिली वे चढ़कर अपने गंतव्य को निकल गए।

स्थान का नाम नहीं होने से दिक्कत

शटल बसों का काम चारों दिशाओं में शहर के बाहर बने बस अड्डों तक यात्रियों को पहुचाना था। लेकिन, शाम को अचानक श्रद्धालुओं की भीड़ संगम से सिविल लाइंस पहुंचने लगी तो व्यवस्था डगमगा गई। लोग अपने रूट की शटल बस की राह देख रहे थे। इन बसों पर रूट नंबर तो लिखा था लेकिन रूट का नाम नहीं था। ऐसे में लोगों को खासी परेशानी हुई। वे अपनी बस की तलाश में सिविल लाइंस में भटकने को मजबूर रहे।

जितना खिलाया, उतना चलाया

सिविल लाइंस बस अड्डे से मेला एरिया तक कोई साधन नहीं चलाए जाने से भी लोग परेशान हुए। लोगों का कहना था कि कम से कम ई रिक्शा या टेंपों चलाए जाने चाहिए थे। खासकर बुजुर्गो, बच्चों और महिलाओं के लिए साधन चलाए जाने चाहिए थे। ऐसा नहीं होने पर सभी को कई घंटे तक चलने के बाद संगम के दर्शन हुए। कई श्रद्धालुओं ने दस से बारह किमी तक पैदल चलने की बात कही।

चंजिंग रूम में लिखें नंबर

कुछ श्रद्धालुओं का कहना था कि मेला एरिया में एक सा रास्ता होने की वजह से लोग भटक रहे थे। ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि संगम किनारे बने चेंजिंग रूम सड़कों पर लगे खंभों की नंबरिंग कर देनी चाहिए। इससे बाहर से आने वाले भटकेंगे नहीं। उन्हें आराम से पता चल जाएगा कि उन्हें किस नंबर से होकर कहां पहुंचना है।

लोगों को बस नही मिल रही। कई बसे खड़ी हैं लेकिन कौन सी कहां जाएगी ये पता नहीं चल रहा। यहां पर बताने वाला कोई होना चाहिए था। जिससे आसानी होती।

सत्य नारायण, नवाबगंज

बहुत अधिक पैदल चलना पड़ा है। शटल बस से उतरने के बाद कम से कम कोई साधन होता जो मेला से थोड़ा पहले उतार देता। क्योंकि अंदर बहुत अधिक दूर जाना पड़ता है।

अभय त्रिपाठी, नवाबगंज

बसों पर लिख देना चाहिए कि वे किधर जाएंगी। हम लोग फाफामऊ की बस ढूंढ रहे हैं लेकिन जानकारी नहीं मिल रही। कोई बताने वाला भी यहां नहीं है।

गौरी त्रिपाठी, नवाबगंज

कल हम शहर आ गए थे। इसके बाद सुबह संगम के लिए रवाना हुए। कई घंटे पहुंचने में लग गए। वापसी में भी यही हाल रहा। प्रशासन को लोगों के लिए साधन की व्यवस्था करनी चाहिए।

बनवारी लाल, कौडि़हार