-पब्लिक ट्रांसपोर्ट के चालक परिचालकों के वेरीफिकेशन की स्थिति बेहद खराब

-ड्राइवर को रखते वक्त सूचना तक नहीं दी जाती पुलिस को

-घटना होने के बाद पुलिस भी मलती है हाथ

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न्रुरुन्॥न्क्चन्ष्ठ: देश की राजधानी दिल्ली में एक क्रिमिनल ड्राइवर बनकर लोगों के बीच में घूम रहा था। रिनाउंड इंटरनेशनल ट्रेवल एजेंसी ने उसे बिना वेरीफिकेशन कराए जॉब दे दी थी। नतीजा उसने सनसनीखेज घटना को अंजाम दे दिया। अब एजेंसी को बैन करने की बात हो रही है। ट्रेवल एजेंसियों के ड्राइवर्स के वेरीफिकेशन की बात होने लगी है। फिर से आदेश जारी कर दिया गया है वेरीफिकेशन कराने का। इसके बाद भी अपने शहर का हाल भी बेहद बुरा है। यहां ड्राइवर का चेहरा देखकर अपने रिस्क पर आपको सफर करना है। क्योंकि, यहां न तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट चालकों के वेरीफिकेशन का कोई सिस्टम है और न ही कोई सेल्फ इनीशिएटिव लेकर इसे कराने आता है।

किसी के पास नहीं है रिकार्ड

इलाहाबाद में करीब पांच लाख वाहन रजिस्टर्ड हैं। 80 फीसदी वाहनों को प्राइवेट या बाइक मान लिया जाय तो भी करीब एक लाख वाहन ऐसे हैं जिनका किसी न किसी रूप में पब्लिक से वास्ता पड़ता है। इसमें निजी तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली कारों की संख्या ज्यादा है। आरटीओ सूत्रों के अनुसार करीब चालीस हजार वाहनों को ड्राइवर्स चलाते हैं। पर डे हजारों लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा लेकर ट्रेवल करते हैं। ऑफिस जाते हैं। घर जाते हैं। मार्केट जाते हैं। स्कूल जाते हैं। इसमें पुरुषों के साथ ही महिलाओं और लड़कियों की संख्या भी बहुत ज्यादा है। यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट में जुड़ कर ड्राइविंग करने वाले लोग कौन हैं, उनकी हिस्ट्री क्या है? कहीं उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला तो नहीं है, इसका रिकार्ड फिलहाल डिस्ट्रिक्ट के किसी भी जिम्मेदार विभाग के पास नहीं है।

डिस्ट्रिक्ट में हजारों हैं ड्राइवर

इंसानों के वेश में, इंसानों की भीड़ में ही वहशी दरिंदे घूम रहे हैं, जो आए दिन किसी न किसी महिला, लड़की की इज्जत से खिलवाड़ कर रहे हैं। इंसान रूपी हैवान कहीं शहर में ड्राइवरों के बीच में तो नहीं हैं, इसका जवाब किसी भी अधिकारी या फिर विभाग के पास नहीं है। सिटी बस, प्राइवेट बस और ऑटो के साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट चलाने वाले सभी ड्राईवरों को जोड़ लिया जाए तो ड्राइवर्स की एक अच्छी खासी संख्या सामने आ जाएगी, जो कई हजार में जाएगी। लेकिन, इनमें से ज्यादातर का क्राइम रिकार्ड पुलिस और आरटीओ के पास नहीं है।

कोई नहीं पहनता आईडेंटिटी कार्ड

2012 में निर्भया कांड के बाद पूरे देश में हलचल मची। ड्राइवर्स की हिस्ट्री पर सवाल उठा। इसके बाद सेंट्रल गर्वनेंट की ओर से ड्राइवरों के वेरिफिकेशन का आदेश दिया गया। साथ ही यह भी आदेश हुआ कि ड्राईवर अब पूरी तरह ड्रेस में रहेंगे। आई कार्ड पहन कर ही चलेंगे। सेंट्रल गवर्नमेंट के आदेश पर यूपी गवर्नमेंट ने भी पेच कसी। लेकिन, कुछ दिनों बाद ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया। अब इस पर बात करने वाला भी कोई नहीं है।

समय-समय पर हम वेरीफिकेशन ड्राइव चलाते रहते हैं। लेकिन, बेहतर तरीका तो यही होगा कि आप ड्राइवर को रखने से पहले एक बार उसका पुलिस से वेरीफिकेशन करा लें। पुलिस की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही किसी को नौकरी पर रखें। इससे संबंधित व्यक्ति के बारे में आपको भी पूरी जानकारी होगी और पुलिस के पास भी उसका पूरा ब्यौरा होगा।

राजेश कुमार यादव

एसपी सिटी

प्राइवेट बस और टैक्सी ड्राइवरों के वेरिफिकेशन का आदेश तो है। लेकिन, यहां पर अभी वेरिफिकेशन का काम शुरू नहीं हुआ है। इस मुद्दे पर हम गंभीर हैं। जल्द ही मीटिंग बुलाई जा रही है। इसके बाद ड्राइवर्स के वेरिफकेशन का काम शुरू होगा। जितने भी ड्राईवर्स हैं सभी का वेरिफिकेशन कराया जाएगा।

भीम सिंह

आरटीओ, इलाहाबाद

फैक्ट फाइल

इलाहाबाद शहर में चलते हैं आटो विक्रम

900

प्राइवेट टैक्सी-कैब

500

सिटी बसें

121

स्कूल बसें

600