RANCHI : सिटी में सैकड़ों की संख्या में हॉस्टल रन कर रहे हैं और यहां हजारों की संख्या में स्टूडेंट्स रह रहे हैं। लेकिन, आश्चर्य की बात है कि न तो इन हॉस्टल्स के रजिस्ट्रेशन की ही जांच हो रही है और न ही स्टूडेंट्स का वैरीफिकेशन किया जा रहा है। ऐसे में अगर किसी तरह की कोई अनहोनी हो जाए तो जवाबदेही को लेकर एक-दूसरे पर फेंका-फेंकी के खेल से इन्कार नहीं किया जा सकता है। मालूम हो कि लालपुर, व‌र्द्धमान कंपाउंड, पीस रोड, थड़पखना, डंगराटोली समेत कुछ इलाकों में बड़ी संख्या में हॉस्टल हैं जिनमें कई का लाइसेंस तक भी नही है।

नियम भी ताक पर

नगर निगम में हर हॉस्टल संचालक को अपने हॉस्टल का निबंधन कराना अनिवार्य है। इसके लिए तय मानक भी रखे गए हैं। लेकिन, गंभीर मामला यह है कि अभी तक शहर के आधे से ज्यादा हॉस्टल संचालकों ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। नगर निगम के सारे नियम ताक पर हैं और विभाग के अधिकारियों को मैनेज कर सारा गोरखधंधा अंजाम दिया जा रहा है।

हादसों के बाद जागता है प्रशासन

हॉस्टल में होने वाले हादसों के बाद प्रसासन कई बार जागता है लेकिन कुछ दिनों के कार्रवाई के बाद मामला ढाक के तीन पात में बदल जाता है। सिटी के कई हास्टल्स में करीब एक लाख से ज्यादा छात्र-चात्राएं रहते हैं जिनका पुलसि वेरिफिकेशन नहीं किया गया है।

थानों में रिकॉर्ड नहीं

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने मामले की पड़ताल करने के लिए शहर के कई थानों से हॉस्टल और उसमें रहने वाले स्टूडेंट्स के रिकार्ड की जानकारी मांगी तो पता चला कि थानों के पास ऐसा कोई रिकार्ड नहीं है। वास्तविकता यह है कि कोई भी हॉस्टल संचालक अपने यहां रहने वाले स्टूडेंट्स के संबंध में कोई जानकारी पुलिस के समक्ष साझा नहीं करते, जिसके कारण पुलिस के पास ऐसा कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है।

हर हाल में वेरिफिकेशन है अनिवार्य

विदित हो कि किरायेदार कानून के तहत किराए पर रहने वाले परिवार, एकल, छात्र, छात्राएं समेत अन्य लोगों का पुलिस वेरिफिकेशन कराना अनिवार्य होता है। लेकिन सिटी में न तो किराएदारों का वेरिफिकेशन किया जा रहा है न ही स्टूडेंट्स का। सिटी के कई हॉस्टल्स में संदिग्धों के छुपे होने की जानकारी भी पुलिस को कई बार मिली है जिसके बाद छापामारी भी की गयी है।