RANCHI : पत्थलकुदवा के बाशिंदों की परेशानी यह नहीं है कि उन्हें सप्लाई वाटर नहीं मिल रहा है। उनके सामने दिक्कत है कि बिना वाटर कनेक्शन के लिए पानी का बिल भेजा जा रहा है। एक उपभोक्ता को 70 हजार रुपए पानी का बिल भेज दिया गया। इसी तरह यहां के कई उपभोक्ताओं को पानी का अनाप-शनाप बिल भेजा जा रहा है, जबकि उनके घरों ने नलों से एक बूंद पानी तक नहीं गिरती है। वे पानी के बिल में सुधार को लेकर नगर निगम की दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन उनकी परेशानियां दूर होने का नाम नहीं ले रही है।

खर्च 18 लाख, फिर भी सप्लाई नहीं

पत्थलकुदवा में पीने का पानी पहुंचाने में नगर निगम फेल साबित हुआ है। मोहल्ले में 18 लाख की लागत से नई पाइप लाइन बिछाई गई है, लेकिन हालात यह है कि जिन्होंने कनेक्शन लिया है, उनके घरों में नलों से एक बूंद पानी नहीं गिर रहा है। अब वे इस बात को लेकर परेशान हैं कि बिना पानी के लिए पानी का बिल जमा करने के लिए उन्हें मजबूर किया जा रहा है।

12 इंच की पाइप बिछाई जाए

मोहल्ले वासियों का कहना है कि नगर निगम ने जरूरत के हिसाब से मोटी पाइप यहां नहीं बिछाई, जिस कारण वाटर सप्लाई में दिक्कतें आ रही है। संदीप कुमार ने बताया कि पुरूलिया रोड व कांटाटोली के रास्ते मोहल्ले में छह इंच की पाइप बिछाई गई है, लेकिन इससे पानी का फ्लो सही से नहीं रो रहा है। उन्होंने निगम से मांग की है कि यहां 12 इंच मोटी पाइप बिछाई जाए, ताकि मोहल्ले तक पानी आसानी से पहुंच सके।

पानी के लिए तिहरा मार झेल रहे लोग

पत्थलकुदवा के लोग पीने के पानी को लेकर तिहरा मार झेल रहे हैं। एक ओर तो नगर निगम का पानी यहां आता नहीं है तो दूसरी ओर इलाके के पानी में आर्सेनिक की मात्रा काफी ज्यादा है, जो पीने के लायक नहीं है और तीसरा यहा कि पीने के पानी के लिए लोगों को जेब ढीली करनी पड़ रही है। मोहल्ले की अगाथा बाड़ा ने कहा कि हमें हर दिन पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। अगर यहां का आर्सेनिक युक्त पानी पीते हैं तो बीमारी पकड़ लेगी और नगर निगम की ओर से पीने का पानी नहीं मिल रहा है। ऐसे में आखिर हम करें तो क्या ?

पाइप बिछी 2016 में, बिल बेजा 2006 का

पत्थलकुदवा के लोगों के मुताबिक, नगर निगम की ओर से मोहल्ले में पाइप लाइन 2016 में बिछाई गई है, लेकिन पानी का जो बिल भेजा जा रहा है वह 2006 का है, यानी 10 साल पुराना बिल जमा करने के लिए लोगों को बाध्य किया जा रहा है। गौरतलब है कि 2015 में यहां के पानी की जब जांच की गई तो पता चला कि इसमें आर्सेनिक की मात्रा बहुत ज्यादा है। यह पीने के लायक नहीं है। इसी के बाद 2016 में यहां वाटर सप्लाई के लिए पाईप बिछाई गई।