RANCHI : रिम्स में पानी की किल्लत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। मंगलवार को लगातार तीसरे दिन इस वजह से जहां फिर दर्जनों ऑपरेशन टाल दिए गए, वहीं मरीज और उनके परिजन पानी के लिए त्राहिमाम करते रहे। ओपीडी हो या वार्ड, हालात यह है कि यहां पीने का पानी तो दूर, टॉयलेट में भी एक बूंद पानी नहीं है। हॉस्पिटल में पानी की किल्लत के मद्देनजर डिप्टी डायरेक्टर गिरिजा शंकर प्रसाद और सुपरिंटेंडेंट डॉ विवेक कश्यप ने डॉक्टर्स के साथ इमरजेंसी मीटिंग की। इसमें टैंकर के जरिए वार्डो में पानी की सप्लाई करने का फैसला लिया गया।

बोरिंग ने भी तोड़ा दम

रविवार की रात हुई आंधी-पानी के बाद से ही रिम्स परिसर में वाटर सप्लाई ठप हो गई है। वाटर एंड सैनिटेशन डिपार्टमेंट यहां पानी की सप्लाई व्यवस्था को दुरुस्त करने में नाकाम साबित हो रहा है। इतना ही नहीं, परिसर में स्थित बोरिंग भी यहां आने वालों की प्यास बुझाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। पानी की घोर किल्लत से हॉस्पिटल की व्यवस्था अस्तव्यस्त हो गई है।

दूसरे दिन भी टल गए दर्जनों ऑपरेशन

रिम्स में पानी की किल्लत किस कदर चिकित्सा व्यवस्था पर भारी पड़ रही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मंगलवार को सर्जरी ओटी में लगातार दूसरे दिन डेढ़ दर्जन ऑपरेशन टाल दिए गए। इसके अलावा आर्थो और न्यूरो में भी ऑपरेशन नहीं किए गए।

मिनरल वाटर बना सहारा

रिम्स में सप्लाई वाटर ठप होने की वजह से मरीज व उनके परिजनों अब बोतलबंद पानी खरीदकर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। इसका असर है कि यहां मिनरल वाटर के बोतल की डिमांड एकाएक बढ़ गई है। इसके अलावा कुछ लोग रिम्स परिसर के बाहर इधर-उधर से पानी की व्यवस्था भी कर रहे हैं।

सुलभ शौचालय में बढ़ी भीड़

हास्पिटल कैंपस में सुलभ शौचालय है। जहां बोरिंग से पानी की सप्लाई होती है। ऐसे में मरीज से लेकर परिजन तक के लिए सुलभ शौचालय ही सहारा बना है। इस वजह से वहां भी लंबी लाइन देखी जा रही है। वहीं कई लोग तो सुलभ शौचालय से पानी भरकर हॉस्पिटल में ला रहे हैं, ताकि जरूरी काम निपटाया जा सके।