अवैध निर्माण में लिप्त हैं तो नहीं मिलेगा लाइसेंस

अगर अतिक्रमण किया है तो भी खारिज होगा आवेदन

भू-माफिया में नाम रजिस्टर होना भी नुकसानदायक रहेगा

आ‌र्म्स एक्ट की नियमावली में हुआ संशोधन, 2016 के प्रावधानों में तहत हो रही पड़ताल

अवैध अतिक्रमणकारियों, अवैध कब्जाधारियों को भी नहीं मिलेगा शस्त्र लाइसेंस

Meerut। संपत्ति विवादों के आरोपियों को शस्त्र लाइसेंस नहीं मिलेगा। आ‌र्म्स एक्ट की नियमावली में संशोधन के बाद पुलिस के साथ-साथ पात्र आवेदक के परीक्षण में तहसील प्रशासन की भूमिका बढ़ी है। एंटी भू-माफिया के तहत आरोपियों, अवैध अतिक्रमणकारियों और अवैध निर्माणकर्ताओं को शस्त्र लाइसेंस नहीं मिलेगा। डीएम अनिल ढींगरा के निर्देश पर तहसील प्रशासन अपनी रिपोर्ट लगा रहा है जिसके बाद आवेदनों को निरस्त किया जा रहा है।

जरा समझ लें

आमतौर पर पुलिस वेरीफिकेशन में ओके रिपोर्ट मिलने के बाद शस्त्र लाइसेंस की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती थी तो वहीं तहसील प्रशासन की रिपोर्ट महज औपचारिकता होती थी। आ‌र्म्स एक्ट में बदलाव के बाद लाइसेंस प्रक्रिया को जटिल बना दिया है तो वहीं कई प्रकार की पड़ताल को और शामिल कर दिया है। यूपी में आ‌र्म्स एक्ट 2016 के तहत शस्त्र लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया संचालित हो रही है। इसी क्रम में तहसील प्रशासन से एसडीएम की रिपोर्ट भी मांगी जा रही है जिसमें आवेदक को कई कसौटियों से गुजरना पड़ रहा है।

भू-माफिया तो नहीं है आवेदक?

तहसील स्तर पर परीक्षण किया जा रहा है कि कहीं आवेदक भू-माफिया तो नहीं है। एंटी भू-माफिया के तहत कार्रवाई की जद में आए भू-माफिया का आवेदन रद कर दिया जाएगा। ऐसे आवेदक जो सरकारी जमीन या तालाब पर कब्जा जमाएं हैं, उन्हें भी लाइसेंस नहीं मिलेगा। नगर निगम, नगर निकाय, ग्राम पंचायत आदि की जमीन या सड़क पर अतिक्रमण करने वालों को भी पात्रता की सूची से बाहर रखा गया है तो वहीं स्थानीय निकाय ने यदि किसी आवेदक पर अवैध निर्माण का आरोप लगाया है, तो भी वो आवेदक की श्रेणी से बाहर चला जाएगा।

बकाएदार को नहीं मिलेगा लाइसेंस

जारी शासनादेश में बकाएदार को भी लाइसेंस जारी न करने के निर्देश दिए गए हैं। तहसील प्रशासन, राजस्व विभाग से इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तलब कर रहा है। सरकारी या गैरसरकारी संस्था के बकाएदार को भी शस्त्र लाइसेंस नहीं मिलेगा। इसके लिए तहसील प्रशासन स्तर पर समस्त देयों का परीक्षण कराने के अलावा आवेदक से एफीडेविट लिया जा रहा है। गौरतलब है कि मेरठ में अब तक करीब 4 हजार शस्त्र लाइसेंस के आवेदक शस्त्र अनुभाग में आए हैं जिसमें से 540 फाइलों का परीक्षण हो गया है। डीएम के आदेश पर एक बार फिर इन्हें जांच के लिए पुलिस कार्यालय भेजा गया है।

दूसरे हथियार के लिए अलग लाइसेंस

जारी शासनादेश में एक लाइसेंस पर एक से अधिक हथियार की एंट्री पर रोक लगा दी गई है। जनपदों को दिए गए कड़े निर्देश में गृह विभाग ने कहा कि आ‌र्म्स एक्ट 2016 के अनुपालन में किसी भी शस्त्र लाइसेंसधारक को दूसरा हथियार लेने के लिए अलग लाइसेंस बनवाना होगा। इतना ही नहीं दूसरा या तीसरा शस्त्र लाइसेंस हासिल करना अब आसान नहीं होगा। एक से अधिक लाइसेंस क्यों चाहिए? इसका पूरा ब्योरा प्रमाण के साथ आवेदक को देना होगा। सभी जनपदों के डीएम को कड़े निर्देश देते हुए सरकार ने कहा कि यदि किसी को एक लाइसेंस पर एक से अधिक हथियार की अनुमति दे दी गई है तो उसे तत्काल निरस्त किया जाए। एक यूएनआई होने का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि एक लाइसेंस पर एक या उससे अधिक हथियार बिना अनुमति के चढ़ा लिए जाएं। मेरठ में ऐसे लाइसेंस खंगाले जा रहा रहे हैं जिनपर एक से अधिक हथियार चढ़े हुए हैं।

एंटी भू-माफिया के तहत कार्रवाई की जद में आने वाले, अवैध अतिक्रमणकारी, अवैध निर्माणकर्ता और बकाएदारों को लाइसेंस नहीं दिया जाएगा। इस संबंध में सघन परीक्षण के निर्देश तहसील प्रशासन को दिए गए हैं।

अनिल ढींगरा, जिलाधिकारी, मेरठ