अनोखी पहल से सभी खुश

यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। पीसी त्रिवेदी की इस अनोखी पहल की सभी ने तारीफ की। यह पहला मौका था, जब किसी यूनिवर्सिटी या संस्थान का कुलगीत इनती बड़ी तादाद में इकट्ठा हुए लोगों ने एक साथ गया हो। पीसी प्रो। पीसी त्रिवेदी की पहल पर कनवोकेशन की जिम्मेदारी संभाल रहे प्रो। वीबी उपाध्याय ने उन्हें बधाई दी। इस दौरान प्रो। त्रिवेदी ने कहा कि यूनिवर्सिटी का कुलगीत हम सबके लिए काफी महत्वपूर्ण होता है और इसके एक-एक शब्द को हमें आत्मसात करना होगा।

पोस्टर में दिखा बेटियों का दर्द

यूनिवर्सिटी के स्पोट्र्स काउंसिल ग्राउंड में ऑर्गेनाइज इस प्रोग्राम में पोस्टर और स्लोगन एग्जिबिशन भी लगाई गई, जिसमें लोगों को गल्र्स सेफ्टी से जुड़े मुद्दों के साथ वाटर कंजर्वेशन, एंवायर्नमेंट पॉल्युशन, वोटर अवेयरनेस जैसे मुद्दों पर पोस्टर और स्लोगन देखने को मिले। इस पोस्टर एग्जिबिशन की सबसे खास बात यह रही कि इसमें सबसे ज्यादा 'बेटियों के दर्द' पर फोकस किया गया। एग्जिबिशन के दौरान गल्र्स सेफ्टी से जुड़े मुद्दों पर बड़ी तादाद में स्लोगन और पोस्टर लगाए गए। इसमें बड़ी तादाद गल्र्स की थी, जिन्होंने अपनी कल्पनाओं को कागज पर उकेर समाज को एक मैसेज देने की कोशिश की।

नहीं बन सका रिकॉर्ड

यूनिवर्सिटी में इतनी बड़ी तादाद में लोगों के इकट्ठा होने और एक साथ सिंगिंग के बावजूद, यूनिवर्सिटी रिकॉर्ड बनाने में सफल नहीं हो पाई। ऐसा नहीं कि यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स, टीचर्स और एल्युमिनस की तादाद कम थी, बल्कि इसकी मेन वजह रूलिंग में फंसा पेंच रही। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में सिंगिंग के लिए सिर्फ एक ही कैटेगरी थी, इसे किसी सब कैटेगरी में नहीं बांटा गया है। जिसकी वजह से यूनिवर्सिटी का यह ख्वाब अधूरा रह गया। एक साथ ग्रुप सिंगिंग का वल्र्ड रिकॉर्ड भारत के राष्ट्रगान की ग्रुप सिंगिंग का है, जिसमें 1 लाख से ज्यादा पार्टिसिपेंट्स ने हिस्सा लिया था।

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