नोबेल विनर कैलाश सत्यार्थी ने बनारस में हजारों बच्चों को बाल मजदूरी से दिलायी है मुक्ति

VARANASI: दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार अपने नाम कर कैलाश सत्यार्थी ने देश का नाम रोशन किया है। खास यह कि कैलाश सत्यार्थी के नाम के साथ बनारस भी बहुत ही संजीदगी से जुड़ा है। जी हां, अपने आंदोलन के शुरुआती दिनों में उन्होंने बनारस को ही कर्मभूमि बनाया और यहां के भ्,000 से अधिक बाल मजदूरों को मालिकों के चंगुल से मुक्त कराया। बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक सदस्यों से एक और पिपुल्स विजिलेंस कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स के सीईओ लेनिन रघुवंशी बताते हैं कि कैलाश सत्यार्थी के 'बचपन बचाओ आंदोलन को बनारस में ही धार मिली। बनारस के अलावा भदोही, मीरजापुर आदि इलाकों में भी आंदोलन के प्रभाव से हजारों बच्चों को बाल मजदूरी के दंश से मुक्त कराया गया। कालीन निर्माताओं के यहां बाल मजदूरी करने वालों की संख्या हजारों में थी। उनकी दशा पर इतने बड़े स्तर कर काम करने की यह शुरुआत थी। उन दिनों हमारी ब्0 लोगों की कमेटी थी। डॉ। लेनिन बताते हैं कि कैलाश सत्यार्थी ने क्990 से लेकर 98 तक बनारस में सक्रिय रूप से काम किया। इस दौरान धरना प्रदर्शन से लेकर मजूदरों को छुड़ाने तक के लिए कई बार आंदोलन किये गये। शासन प्रशासन का विरोध भी झेलना पड़ा। बीएचयू में उन्होंने कई बार कार्यक्रमों में शिरकत की। उन दिनों दौलतपुर स्थित मेरा घर ही उनका ठिकाना होता था।