- हर माह होते हैं 20 से अधिक छोटे-बड़े एक्सीडेंट

- रिकार्ड दुरुस्त न होने से नहीं हो पाती कड़ी कार्रवाई

GORAKHPUR : बच्चों को टेंपो से स्कूल भेजना उनकी जान जोखिम में डालना है। एक्सीडेंट के बाद टेंपो वालों की तलाश मुश्किल हो जाएगी। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकेगी। टेंपो वालों का कोई रिकार्ड किसी विभाग के पास नहीं मौजूद नहीं रहता। एक्सीडेंट के बाद ज्यादातर मामलों में कोई केस नहीं दर्ज कराता। पुलिस, ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ मौन साध लेता है। जिम्मेदारों के पल्ला झाड़ने से मामला गंभीर हो गया है। अपने नौनिहालों की सुरक्षा आपके हाथ में ही है।

हर माह दो दर्जन से अधिक एक्सीडेंट

सिटी और आसपास के एरिया में टेंपो से होने वाले एक्सीडेंट की तादाद बढ़ती जा रही है। ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि हर माह दो दर्जन से अधिक एक्सीडेंट होते हैं। ज्यादातर मामलों में पुलिस कार्रवाई नहीं करती है। पुलिस शिकायत करने वालों के आने का इंतजार करती रहती है। कुछ विशेष मामलों को छोड़ दें तो एक दिन बाद लोग एक्सीडेंट को भूल जाते हैं।

केस एक:

14 जुलाई 2015 सिविल लाइंस में सीतापुर आंख अस्पताल के पास टेंपो पलट गया। तेज रफ्तार टेंपो डिवाइडर से टकराकर पलट गई। एक्सीडेंट में 10 बच्चे घायल हो गए। मामूली रूप से घायल बच्चों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी मिल गई। कोई तहरीर न मिलने पर पुलिस ने मुकदमा नहीं दर्ज किया।

केस दो:

07 मई 2012 को खोराबार एरिया में रामनगर में टेंपो पलटने से 14 बच्चे घायल हो गए। सूचना मिलने पर पुलिस पहुंची। बच्चों का उपचार कराने के बाद घर भेज दिया। तेज रफ्तार टेंपो चला रहे ड्राइवर के खिलाफ कोई कार्रवाई में लापरवाही की गई।

केस तीन:

14 अप्रैल 2015 को खजनी में टेंपो पलटने से स्कूली बच्चों सहित आठ लोग घायल हो गए। सभी लोगों का आसपास अस्पतालों में उपचार के लिए एडमिट कराया गया। टेंपो पलटने के बाद पुलिस शिकायतकर्ता के आने का इंतजार करती रही।

केस चार:

21 फरवरी 2015 को मोहद्दीपुर में टेंपो ड्राइवर की लापरवाही से कार से टक्कर हो गई। टेंपो में स्कूली बच्चे सवार थे। लेकिन उनको चोट नहीं आई। मोहद्दीपुर से पैडलेगंज जा रहे दो यात्री घायल हो गए। उनको जिला अस्पताल से उपचार के बाद छुट्टी मिल गई। इस मामले में कोई मुकदमा नहीं दर्ज कराया गया।

केस पांच:

फरवरी 2015 को मानीराम में टेंपो पलटने से चार स्कूली बच्चों को चोट लगी। मानीराम के अस्पताल में उनका उपचार कराया गया। बच्चों को लेकर टेंपो गोरखपुर आ रहा था। इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।

किसी के पास नहीं रहता कोई रिकार्ड

स्कूल में अवैध ढंग से चलने वाले टेंपो का कोई रिकार्ड किसी के पास मौजूद नहीं रहता है। इस मामले में आई नेक्स्ट ने सिटी के 10 बड़े स्कूल संचालकों से बात की। स्कूल संचालकों ने बताया उनके पास सिर्फ स्कूल के अपने व्हीकल का रिकार्ड होता है। किस व्हीकल को कौन ड्राइवर और खलासी किस रूट पर बच्चों को लेकर जा रहा है, इसकी जानकारी रजिस्टर में मेंटेन की जाती है। किसी बच्चे के विलंब से घर पहुंचने या फिर किसी अन्य समस्या के सामने आने पर तुरंत ड्राइवर से संपर्क किया जाता है, लेकिन गार्जियन के प्राइवेट व्हीकल का कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता है। सिटी और आसपास के 10 थानेदारों से बात करने पर मालूम हुआ कि उनको स्कूल से कोई रिकार्ड नहीं मिलता। स्कूली बच्चों का मामला होने से पुलिस सख्ती नहीं बरत पाती है। ट्रैफिक पुलिस के पास भी स्कूल से चलने वाले व्हीकल का कोई रिकार्ड नहीं होता। टै्रफिक पुलिस ने माना कि गार्जियन प्राइवेट टेंपो से बच्चों को स्कूल भेजते हैं। अधिक रुपए कमाने के चक्कर में टेंपो वाले ओवरलोडिंग करते हैं। आरटीओ में टेंपो का कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन होता है। टेंपो को स्कूल में चलाने का कोई नियम नहीं है। गार्जियन भी इसको लेकर सतर्क नहीं रहते। मजबूरी में उनको कोई न कोई टेंपों तय करना पड़ता है। स्कूल से जुड़े लोगों का कहना है कि यह जिम्मेदारी गार्जियन की है क्योंकि गार्जियन अपने रिस्क पर बच्चों को स्कूल भेजते हैं।

स्कूल की तरफ से पुलिस को कोई रिकार्ड नहीं दिया जाता है। बच्चों का मामला होने से पुलिस सख्ती से चेकिंग नहीं कर पाती है। स्कूल बस के साथ-साथ कई प्राइवेट टेंपो वाले बच्चों को रोजाना स्कूल छोड़ने जाते हैं।

श्रीधराचार्य, इंस्पेक्टर

कई लोग प्राइवेट में स्कूलों से व्हीकल अटैच करके चलवा रहे हैं। गार्जियन खुद टेंपो रिजर्व करके बच्चों को स्कूल भेजते हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई तभी हो पाएगी जब वे बच्चों को स्कूल ले जा रहे हों। बच्चों को उतारने के बाद जस्टिफाइ करना मुश्किल होता है कि टेंपो किसी स्कूल से अटैच है। चेकिंग में टेंपो पकड़ने पर बच्चों को उतारने से परेशानी बढ़ जाएगी।

बीएन गुप्ता, टीएसआई

स्कूल व्हीकल के तौर पर रजिस्ट्रेशन सिर्फ बसेज का होता है। टेंपो इसके लिए वैध नहीं हैं। गार्जियन या फिर स्कूल की तरफ से टेंपो लगाकर स्टूडेंट्स का आवागमन करते हैं। स्कूल की तरफ से टेंपो का कोई रिकार्ड नहीं भेजा जाता है।

डॉ। अनिल कुमार, आरटीओ एनफोर्समेंट

बच्चे टेंपो से स्कूल से आ रहे हैं या फिर बाइक से, इसकी कोई जिम्मेदारी स्कूल की नहीं होती। गार्जियन अपने रिस्क पर यह व्यवस्था करते हैं। वे लोग ही टेंपो चलाने के लिए प्रेरित करते हैं। इससे स्कूल का कोई लेना देना नहीं है।

प्रेम चंद्र श्रीवास्तव, प्रेसीडेंट, स्कूल एसोसिएशन गोरखपुर

स्कूल बस हर जगह नहीं पहुंच पाती है। स्कूली बसों का किराया भी बहुत अधिक होता है। इस वजह से बच्चों को मजबूरी में टेंपो से स्कूल भेजना पड़ता है। टेंपो चालक का नाम और मोबाइल नंबर रखा जाता है। इसके अलावा किसी तरह का डिटेल नहीं रखते।

सुंधाशु कुमार, जंगल तुलसीराम बिछिया