दलालों की जकड़ से आजाद करेगा वाहन 4

लखनऊ में वाहन फोर की सुविधा 15 अप्रैल से

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LUCKNOW: सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो आने वाले दिनों में आरटीओ के दलाल आपको परेशान नहीं कर पाएंगे। अब गाड़ी की डुप्लीकेट आरसी हो या फिर वाहन की एनओसी लेने के लिए आपको आरटीओ ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने होंगे। सभी औपचारिकताएं पूरी होने पर सभी कागजात भेज दिए जाएंगे, ये संभव करेगा वाहन फोर से।

अप्रैल में ही 'वाहन फोर' लांच होगा

परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बाराबंकी के बाद लखनऊ और कानपुर में 'वाहन फोर' की शुरुआत होने जा रही हैं। वाहन फोर में फिलहाल परमिट देने का ट्रायल चल रहा है। इसके पूरा होते ही पब्लिक के लिए लांच कर दिया जाएगा। असल में आरटीओ ऑफिस में लाइसेंस बनवाने के नाम पर और गाडि़यों से जुड़े अन्य छोटे-छोटे कार्यो के लिए भी दलालों की जेब गरम करनी ही पड़ती है। वाहन फोर साफ्टवेयर लांच के बाद पब्लिक घर बैठे अपना आवेदन कर सकते हैं। इसके तहत गाड़ी की डुप्लीकेट आरसी, गाड़ी की फाइनेंस अवधि खत्म होने के बाद एनओसी या फिर पता बदलवाना हो, सब काम चुटकियों में होंगे।

कुछ यूं काम करेगा वाहन फोर

वाहन फोर सुविधा का लाभ लेने के लिए लोगों को आरटीओ ऑफिस जाकर मोबाइल नंबर नोट कराना होगा। मोबाइल नंबर नोट कराने के बाद मोबाइल पर वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) मिल जाएगा। पासवर्ड की व्यवस्था इसलिए की गई जिससे गाड़ी मालिक अपनी गाड़ी से संबंधित कार्यो के लिए आवेदन कर सके। इसके लिए सभी डॉक्यूमेंट भी अब ऑनलाइन स्वीकार्य किए जाएंगे। फीस भी ऑनलाइन ही जमा होगी। आवेदन के बाद सभी डॉक्यूमेंट्स परखे जाएंगे और फिर आारटीओ से संबंधित कागजात, मसलन आरसी या एनओसी आपको मेल कर दी जाएगी।

सारथी के बाद आया वाहन 4

आरटीओ ऑफिस में लर्निग लाइसेंस के लिए पहले से ही ऑनलाइन व्यवस्था शुरू हो चुकी है। लर्निग लाइसेंस के लिए लोगों को 'सारथी' साफ्टवेयर पर जाकर आनलाइन फीस भरनी होती है। उसके बाद इस फीस रसीद को लेकर किसी भी कार्य दिवस में आरटीओ ऑफिस में जाकर ऑनलाइन टेस्ट देना होता है। उसके बाद आरटीओ ऑफिस आपका लर्निग लाइसेंस डाक के माध्यम से घर भेज देता है।

इस व्यवस्था के बाद जहां दलालों पर लगाम लगाई जा सकेगी वहीं आरटीओ ऑफिस में भीड़ भी कम होगी। लखनऊ और कानपुर में सेवा के शुरू होने के बाद प्रदेश भर में इसे लागू कर दिया जाएगा। लखनऊ में 15 दिन बाद इसे शुरू किए जाने का प्लान है।

-के रविन्द्र नायक, परिवहन आयुक्त