क्या हैं NOC के फायदे

- पब्लिक को एनओसी मिलने से कैंट बोर्ड को ये पता चल सकेगा कि रक्षा भूमि किसको बेची जा रही है और कौन बेच रहा है।

- एनओसी मिलने से कैंट बोर्ड की पब्लिक को रजिस्ट्री कराने मेंं आसानी हो जाएगी।

- रक्षा भूमि पर हो रही अनियमितताओं के बारे में पता चल सकेगा।

- लीज और ग्रांट होल्डर को बैंक से लोन मिलने में आसानी हो सकेगी।

- एनओसी मिलने से कैंट सिविल एरिया के कॉस्ट में बढ़ोत्तरी हो जाएगी।

- जो लोग कैंट एरिया में प्रॉपर्टी लेने से बच रहे थे और उनका आना शुरू हो जाएगा।

- रक्षा भूमि आपराधिक तत्वों में जाने से बच जाएगी।

ये है procedure

- आवेदन के लिए कैंट बोर्ड में एप्लीकेशन देनी होगी।

- कैंट बोर्ड के अधिकारी देखेंगे कि आवेदनकर्ता का नाम जनरल लैंड रिकॉर्ड में दर्ज है या नहीं।

- उसके बाद संबंधित डिपार्टमेंट के अधिकारी प्रॉपर्टी की जांच करेंगे कि सब डिवीजन, एंक्रोचमेंट और अवैध निर्माण तो नहीं है।

- मामला सिविल एरिया कमेटी में जाएगा। जहां मेंबर्स इसे अधिकारियों की रिपोर्ट देखकर पास/फेल करेंगे।

- सीएसी से पास होने के बाद मामला जनरल बोर्ड मीटिंग में जाएगा और वहां फाइनली पास होने के बाद एनओसी मिलेगी।

कर्मचारियों के ट्रांसफर होंगे

डायरेक्टर जनरल ने साफ कहा कि सीईओ की तरह बोर्ड में काम करने वाले विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर कुछ दिनों में शुरू होने शुरू हो जाएंगे। डीजी के इस बयान से कैंट बोर्ड के सभी डिपार्टमेंट के अधिकारियों और कर्मचारियों में हलचल पैदा हो गई है।

GCAF से होगा

प्रोजेक्ट्स का उद्धार

कैंट में विकास कार्यों के लिए ग्रांटेड ऑफ कैपिटल असेट्स फंड मंत्रालय ने बनाया है। इस फंड से कैंट में होने वाले विकास कार्यों और प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए फंडिंग की जाएगी। डीजी ने बोर्ड से तीन महीनों में तीन पब्लिक इंट्रेस्ट के प्रोजेक्ट्स मांगे हैं। जिन्हें स्टडी कर फंडिंग की जाएगी।

सर्वे रिपोर्ट की समीक्षा की

डीजी ने आईआईटी रुडक़ी द्वारा की गई रक्षा भूमि की सर्वे रिपोर्ट की समीक्षा की। जिसमें कुछ कैंट के बाउंड्री पिलर्स में डिफरेंस था, जिसे 15 दिनों में ठीक करने और 31 मार्च तक फाइनल रिपोर्ट देने के आदेश किए हैं। इस मौके पर मेरठ के अलावा रुडक़ी, लैंसडाउन, क्लेमनटाउन, देहरादून कैंट के अधिकारी भी मौजूद थे।

'डीजी सर्वे रिपोर्ट की समीक्षा करके गए हैं। इसके अलावा उनकी बोर्ड मेंबर्स से क्या बातचीत हुई और कहां गए इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.'

- एमए जफर, प्रेस प्रवक्ता, कैंट बोर्ड