- कुतुबखाना में स्थिति ज्यादा खतरनाक 85 डेसीबल पहुंचा पाल्युशन का लेबल

- श्यामगंज फ्लाईओवर पॉल्यूशन कंट्रोल करने में कर सकता है मदद

BAREILLY:

वैसे तो शहर में नॉइज पॉल्यूशन का आंकड़ा दिनों दिन बढ़ रहा है। लेकिन, शहर के कुतुबखाना क्षेत्र की स्थिति और भी भयावह है। कुछ ही महीने में नॉइज पॉल्यूशन पांच डेसीबल तक बढ़ गया है। जिसकी मेन वजह है ट्रैफिक लोड। साथ ही कार, ऑटो की नो एंट्री के बाद भी हो रही एंट्री है। कोतवाली के सामने और कोहाड़ापीर चौकी के पास वाहनों के नो एंट्री का साइन बोर्ड लगा हुआ है। इसके बाद भी वाहन धड़ल्ले से एंट्री करते है। कुतुबखाना के अलावा किला, चौपुला और श्यामगंज भी इससे अछूता नहीं हैं। जो अच्छे-भले व्यक्ति को बीमार बना रहा है।

तेजी से बढ़ रहा पॉल्यूशन लेवल

आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो जून 2015 में कुतुबखाना में नॉइज पॉल्यूशन 72.18 डेसीबल था। लेकिन, प्रजेंट टाइम में यह आंकड़ा 85 डेसीबल पर पहुंच गया है। जबकि, चार महीने पहले तक यह 80 डेसीबल तक ही था। बीसीबी पर्यावरण विज्ञान के विभागाध्यक्ष एपी सिंह ने बताया कि साल 2000 से अब की तुलना करें तो पॉल्यूशन तीन गुना से भी अधिक हुआ है। कुतुबखाना, श्यामगंज में सबसे अधिक ट्रैफिक लोड बढ़ा है। सेटेलाइट पर लगने वाला ट्रैफिक जाम का इफेक्ट श्यामगंज तक पड़ता है।

यह होती है प्रॉब्लम्स

नॉइज पॉल्यूशन अधिक होने पर व्यक्ति के अंदर इंजाइटिस पैदा होती है। कान का पर्दा वाइब्रेट करने पर मैकेनिकल फोर्स इलेक्ट्रिक में कंवर्ट हो जाता है। इस सारे प्रोसेस को ब्रेन महसूस करता है। जिसकी वजह से दिल की धड़कन बढ़ जाती है कभी-कभी धड़कन काम करना बंद कर देती है। शांत स्वभाव वाले व्यक्ति के अंदर भी चिड़चिड़ापन आ जाता है। सिर में दर्द यहां तक की व्यक्ति बहरा भी हो सकता है।

स्टैंडर्ड मानक - 55 डेसीबल।

यह है स्थिति

कुतुबखाना - 85 डेसीबल।

किला - 80 डेसीबल।

चौपुला - 79 डेसीबल।

श्यामगंज - 72 डेसीबल।

इन जगहों पर हॉर्न का इस्तेमाल करने से बचें

- स्कूल के आस-पास।

- हॉस्पिटल के आस-पास।

- कोर्ट के आस-पास।

- बच्चों, बुजुर्गो के पास।

- महिलाओं के पास जाकर।

- किसी शांत कॉलोनी में।

- ट्रैफिक जाम में फंसे है तो।

हॉर्न बजाने के एडिकेट्स

- आपको साइड चाहिए तो हॉर्न बजाएं।

- सड़क पर खड़ा हो तो हॉर्न बजाएं।

- किसी मोड़ पर मुड़ने से पहले हॉर्न बजाएं।

बरेली में पॉल्यूशन का लेवल पिछले पंद्रह साल में तीन गुना से भी अधिक बढ़ा है। जिसका मुख्य कारण ट्रैफिक लोड है। श्यामगंज ओवरब्रिज बनने के बाद पाल्यूशन लेवल काफी हद तक कंट्रोल होगा।

एपी सिंह, विभागाध्यक्ष, पर्यावरण विज्ञान विभाग, बीसीबी