अभी तक इतना शक्तिशाली कैमरे वाला स्मार्टफोन बाजार में नहीं था। इसे बनाने वाली कंपनी का दावा है कि '808 प्योर' नाम का यह सेट कम उजाले में बढ़िया प्रदर्शन करेगा और तस्वीर खींचने के बाद उसे इतना कंप्रेस कर देगा कि उसका आदान-प्रदान करने में परेशानी न हो।

इस फ़ोन के जरिए नोकिया मोबाइल बाजार में गूगल और एपल के हाथों खोए हुए अपने दबदबे को दोबारा हासिल करने की उम्मीद कर रहा है। हालांकि कुछ लोगों ने नोकिया के इस फैसले की आलोचना की है कि उसने इस सेट में 'सिम्बियन' नाम का अपना सिस्टम लगाया है।

नोकिया के अधिकतर स्मार्टफोन माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज़ फोन सॉफ्टवेयर पर चलते हैं। नोकिया के फोनों में सबसे पहले 1990 के दशक में इस्तेमाल किए जाने वाले 'सिम्बियन' को विंडोज की तुलना में कम आंका जाता है।

नोकिया का मानना है कि '808 प्योर' बाजार में नए मानदण्ड स्थापित करेगा। कंपनी के एक उच्च अधिकारी जो हारलो ने कहा, ''लोगों का ध्यान निश्चित रूप से इसके 41-मेगापिक्सल सेंसर पर केंद्रित रहेगा.''

मेगापिक्सल का महत्व

मेगा तकनीकी भाषा में मिलियन के लिए उपयोग में लाया जाता है और डिजिटल फोटोग्राफी की दृष्टि से देखें तो फोटो के एक छोटे बिंदु में समाए और छोटे बिंदुओं को पिक्सल कहा जाता है।

इस तरह से एक मेगा पिक्सल यानी एक छोटे बिंदु में दस लाख छोटे बिंदु। अधिक मेगापिक्सल का मतलब है बेहतर रिजोल्यूशन वाली तस्वीरें और उसके बड़े प्रिंट निकलवाने की आजादी। मेगा पिक्सल अधिक होने से तस्वीर को काटते या छोटा करते समय तस्वीर की गुणवत्ता पर आपका बेहतर नियंत्रण।

आम तौर पर दो मेगा पिक्सल के कैमरे से खींची तस्वीर को 4x6 इंच में प्रिंट करवाया जा सकता है। जबकि 14 मेगा पिक्सल के कैमरे की तस्वीर 18x24 इंच की साइज में प्रिंट करवाई जा सकती है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि किसी कैमरे को केवल उसके मेगापिक्सल के हिसाब से ही नहीं आंका जाना चाहिए।

उनका कहना है कि यह देखना बहुत जरूरी है कि उसके सेंसर की किस्म और गुणवत्ता कैसी है। एक समय दुनिया में प्रबल खिलाड़ी नोकिया बाजार में संघर्ष कर रहा है जबकि गूगल और एपल के उपकरणों की बिक्री में काफी बढ़ोत्तरी हुई है।

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