- अतिक्रमण के नाम पर हटाए गए खोखाधारकों को अब फिर से वहीं बसाने की कोशिश

- भाजपा व कांग्रेस के पार्षद हुए एक, बोर्ड मीाटिंग में पास कराया प्रस्ताव

- सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे खोखा धारकों को स्थाई रूप से बसाने के आदेश

- कोर्ट के आदेशों की आड़ में हो रहा खेल

HARIDWAR: नगर निगम के कांग्रेस और भाजपा सभासदों की मिलीभगत के चलते शहर को एक बार फिर अतिक्रमण की जद में झोंके जाने की तैयारी चल रही है। अतिक्रमण के नाम पर देवपुरा चौक से आरती होटल तक नाले के ऊपर से हटाए गए खोखा धारकों को अब दोबारा से वहीं बसाने की तैयारी चल रही है।

प्रस्ताव कराया पास

सुप्रीम कोर्ट ने ख्0क्0 में देवपुरा चौक से आरती होटल तक सड़क किनारे नाले से हटाए गए खोखा-पटरी वालों को दूसरी जगह स्थापित करने का आदेश दिया था। इस आदेश की आड़ में निगम अब उन्हें फिर से वहीं बसाने की तैयारी कर रहा है, जहां से उन्हें पहले हटाया गया था। बड़ी बात यह कि निगम बोर्ड में रखे जाने वाले हर जायज-नाजायज प्रस्ताव पर अनिवार्य रूप से एक-दूसरे की खिलाफत करने वाले भाजपा और कांग्रेस के सभासद इस मसले पर एक साथ नजर आ रहे हैं कोई भी मामले का विरोध नहीं कर रहा। दोनों ने ही नगर निगम बोर्ड में इस प्रस्ताव का न सिर्फ समर्थन किया, बल्कि निगम कार्यकारिणी और बोर्ड से पूरे बहुमत के साथ इस प्रस्ताव को पास भी करा दिया।

मेयर भी सभासदों के साथ

मेयर मनोज गर्ग भी इस मामले में सभासदों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। वर्ष ख्0क्0 में बरसात के दौरान शहर के कई हिस्सों में कई-कई दिनों तक जलभराव रहा था। इससे स्थानीय निवासियों और व्यापारियों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ा था। संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ गया था, तब जलभारव को इसका कारण शहरी क्षेत्र में बने नालों पर अतिक्रमण को माना गया था। इस पर जिला प्रशासन ने देवपुरा से आरती होटल तक अभियान चलाकर उन्हें वहां से हटा दिया था। हालांकि खोखाधारकों का आरोप था कि उनके पास कोर्ट का स्टे ऑर्डर था, पर प्रशासन ने उनकी सुनवाई किए बिना ही उन्हें वहां से हटा दिया। बाद में उन्हें इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहत प्रदान करते हुए वर्ष ख्0क्ख् में नगर निगम प्रशासन को देवपुरा से आरती होटल तक हटाए गए खोखाधारकों को किसी दूसरी जगह पर स्थापित करने के आदेश दिए थे।

अस्थाई रूप से बसाने का क्या है कारण

सुप्रीम कोर्ट के इन्हीं आदेशों की आड़ ले नगर निगम प्रशासन खोखाधारकों को फिर से वहीं बसाने की तैयारी कर रहा है, जहां से उन्हें हटाया गया था। इसके लिए पहले कार्यकारिणी और बाद में निगम बोर्ड से प्रस्ताव भी पास कर दिया गया। तर्क दिया जा रहा है कि इन्हें फिलहाल वहां पर अस्थाई बसाया जा रहा है, बाद में उन्हें पुराने आईटीआई की जगह पर बसा दिया जायेगा, लेकिन इस बात का किसी के पास कोई जवाब नहीं कि जब सुप्रीम कोर्ट ने खोखाधारकों को स्थाई विकल्प देने का आदेश दिया है तो उन्हें शहरी व्यवस्था को बिगाड़ अस्थाई विकल्प क्यों दिया जा रहा है।

आरोपों के घेरे में कुछ लोग

आरोप है कि इस मामले में प्रभावित लोगों की आड़ में कुछ संपन्न लोगों द्वारा निजी लाभ के लिए निगम में शामिल साथियों की मदद से अमलीजामा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर शासन-प्रशासन में इस संदर्भ में लगाई गई गुहार में इस तरह के प्रभावित लोगों की संख्या क्0ब् या क्0भ् बताई गई पर। इधर निगम की लिस्ट में यह संख्या अब तक तीन सौ से भी ऊपर पहुंच चुकी है।

'सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में प्रभावित खोखाधारकों को स्थाई रूप से आईटीआई परिसर में दुकानें बनवा कर बसाने का प्रस्ताव है, इसमें समय लगेगा। तब तक देवपुरा ने आरती होटल तक अस्थाई तौर पर बसाया जा रहा है। इसके लिए समिति का गठन किया गया है जो यह तय करेगी कि किन्हें बसाना है.'

मनोज गर्ग, मेयर, हरिद्वार नगर निगम

'बोर्ड प्रस्ताव पर स्थान की जांच करने पर पता चला कि उक्त जगह पर नगर निगम का स्वामित्व नहीं है। ऐसे में निगम प्रशासन उक्त जगह के स्थाई अथवा अस्थाई इस्तेमाल की अनुमति देने में सक्षम नहीं.'

विप्रा त्रिवेदी, मुख्य नगर अधिकारी, हरिद्वार नगर निगम