- जिले के तीनों एफआरयू में ब्लड स्टोरेज यूनिट न होने से एनीमिक व गम्भीर गर्भवती महिलाएं होती हैं रेफर

- फ‌र्स्ट रेफरल यूनिट में ब्लड नहीं मिलने से जिला, मंडलीय अस्पतालों व निजी हॉस्पिटल्स में बढ़ जाती है भीड़

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VARANASI

डिस्ट्रिक्ट के अलग-अलग हिस्सों में फ‌र्स्ट रेफरल यूनिट्स (एफआरयू) बनाने के पीछे मकसद था कि बड़े हॉस्पिटल्स में भीड़ कम हो, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। एफआरयू में ब्लड स्टोरेज यूनिट नहीं होने से 30 से 40 फीसदी एनीमिक और गम्भीर गर्भवती महिलाओं को रेफर कर दिया जाता है। इससे जिला अस्पताल, मंडलीय अस्पताल समेत शहर के निजी हॉस्पिटल्स में जरुरतमंदों की भीड़ बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (नॉको) से स्टोरेज यूनिट का लाइसेंस नहीं मिलने से आई है।

डीएम की पहल पर शुरू कवायद

डीएम सुरेन्द्र सिंह की पहल पर पिछले महीने फ‌र्स्ट रेफरल यूनिट्स में ब्लड स्टोरेज यूनिट बनाने के लिए कवायद शुरू हुई। प्राविधान के मुताबिक सीएमओ लेवल से नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन में लाइसेंस के लिए अप्लाई किया गया। डीएम का निर्देश था कि 15 अगस्त तक स्टोरेज यूनिट्स बना दिए जाएं। तय मियाद बीत गई, लेकिन लाइसेंस के फेर में अब तक यूनिट नहीं बन सकी।

एक्सपट‌र््स डॉक्टर हैं तैनात

डिस्ट्रिक्ट में रामनगर, चोलापुर और आराजी लाइन में फ‌र्स्ट रेफरल यूनिट्स बनाई गई हैं। यूनिटों पर सर्जन, स्त्री रोग, बाल रोग व एनीस्थीसिया विशेषज्ञों की तैनाती की गई है। यहां उपचार के साथ ही गर्भवती महिलाओं के नॉर्मल और सीजेरियन डिलेवरी होती है। डॉक्टरों के मुताबिक सामान्य या सीजेरियन डिलेवरी कराने में कई बार खून की कमी आड़े आ जाती है। ऐसे में एनीमिक व गम्भीर महिलाओं को दूसरे हॉस्पिटल में रेफर करना पड़ता है।

एक नजर

- 8 से 10 लाख की आबादी जुड़ी है एफआरयू से

- 250 से 300 महिलाओं की डिलेवरी हर महीने

- 50 से 80 तक एनीमिक व गम्भीर केसेज हो जाते हैं महीने में रेफर

फ‌र्स्ट रेफरल यूनिटों में ब्लड स्टोरेज यूनिट बनाने के लिए आवेदन प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। नाको से लाइसेंस मिलते ही यूनिटें बनाने का काम शुरू हो जाएगा।

डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ