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-जिले में पनवाड़ खाने से हो चुकी है तीन बच्चों की मौत

-सात सिविल लाइंस व सोलानीपुरम में प्लाट में उगी हैं पनवाड़

-पार्षद से लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि भी नहीं दिख रहे संजीदा

-रुड़की क्षेत्र में नहीं चलाया गया जागरुकता अभियान

ROORKEE (JNN) : पनवाड़ खाने से हुई तीन बच्चों की मौत के बाद भी स्वास्थ्य विभाग नहीं जागा है। शहर की पाश कॉलोनी सात सिविल लाइंस व सोलानीपुरम के एक बीघा प्लाट में पनवाड़ उगी पड़ी है। स्थानीय जनप्रतिनिधि भी पनवाड़ को उखाड़ फेंकने को लेकर मुखर नहीं दिख रहे हैं।

पनवाड़ खाने से हु‌ई्र थी मौत

हाल ही में हरिद्वार जिले में पनवाड़ खाने से भागलपुर बिहार निवासी शफीक की छह वर्षीय पुत्री खुशबू व उसकी छोटी बहन अनूषी एवं मुस्तफाबाद निवासी कृष्णा की मौत हो गई थी। दो बच्चों की मौत पर स्वास्थ्य विभाग ने गांव दौलतपुर जाकर जागरुकता अभियान चलाया था। इसके बाद लगा था कि स्वास्थ्य विभाग रुड़की क्षेत्र में जनजागरुकता अभियान चलायेगा, लेकिन रुड़की में जनजागरण के लिए प्रशासन समेत स्वास्थ्य महकमे की नींद खुली। गत सोमवार को बच्चे की मौत के बाद आंकड़ा तीन पहुंच गया। बावजूद इसके स्वाथ्य विभाग के अधिकारियों ने रुड़की की ओर रुख तक नहीं किया। हाल यह है कि सात-सिविल लाइंस एनआईएच रोड पर खाली पड़े एक बीघा के प्लाट में पनवाड़ उगी पड़ी है, जो बच्चों की सेहत के लिए खतरा है।

स्थानीय लोग हैं चिंतित

बच्चे यहां खेलने भी आते हैं, लेकिन किसी भी सरकारी महकमे ने रुड़की क्षेत्र में पनवाड़ को उखाड़ने की जहमत नहीं उठाई। यही हाल सोलानीपुरम का है। यहां भी खाली प्लाट में पनवाड़ उगी है। स्थानीय लोग भी इससे चिंतित नजर आ रहे हैं, लेकिन पार्षद से लेकर अन्य जनप्रतिनिधि इस ओर संजीदा नहीं दिख रहे हैं। किसी ने भी नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन कार्यालय जाकर पनवाड़ दिखने पर उसे हटाने के लिए अभियान चलाने की शिकायत तक नहीं की है। एसीएमओ केसी ठाकुर का कहना है कि दो दिन पूर्व गांव दौलतपुर में निरीक्षण कर बच्चों व ग्रामीणों को जागरुक किया गया था। इसके लिए जनजागृति जरुरी है। निगम को भी इस बाबत पत्र लिखा जाएगा, ताकि उनके कर्मचारी सफाई के दौरान पनवाड़ को उखाड़कर फेंके।

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नहीं आ रहा पा बजट

प्रत्येक ग्राम पंचायत में स्वास्थ्य विभाग की ओर से हर साल दी जाने वाली दस हजार की धनराशि नहीं आ पाई है। इसका कारण केंद्र में नई सरकार का गठन है। अधिकारियों की माने तो नई सरकार के गठन के चलते केंद्र से बजट नहीं आ सका है, जिसके चलते ग्राम पंचायतों में स्वच्छता अभियान समेत अन्य कार्य लटके पड़े हैं। एसीएमओ केसी ठाकुर का कहना है कि ग्राम प्रधानों को मिलने वाली दस हजार की धनराशि से सफाई अभियान चलाना चाहिये। वर्ष ख्007 से लगातार धनराशि खातों में पहुंच रही है। सिर्फ पिछले वर्ष ही बजट कम होने के कारण धनराशि कम मिली थी। इस संबंध में नारसन के ग्राम प्रधान के खाता चेक भी किया गया था, जिसमें पाया गया था कि धनराशि पहुंची थी। जबकि प्रधान द्वारा धनराशि न आने की जानकारी दी जा रही थी।

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'पनवाड़ की फली के बीज स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। इसके भीतर से निकले एल्केलोयड्स के कारण मरीज के लीवर, मस्तिष्क, मांसपेशियों पर प्रभाव पड़ता है। समय से उपचार न मिलने के कारण विभिन्न अंग भी काम करना बंद कर देते हैं, जिससे मरीज की मौत भी हो जाती है। मरीज को समय से उपचार दिया जाना जरुरी है.'

-एके मिश्रा, प्रमुख बाल रोग विशेषज्ञ, सिविल अस्पताल

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एसीएमओ ने रिपोर्ट सीएमओ को सौंपी