- भ्रूण हत्या रोकने के लिए सरकार ने शुरू की थी मुखबिर योजना

- स्वास्थ्य विभाग अभी तक खोज रहा वॉलंटियर, हाथ खाली

-योजना का लाभ उठाने के लिए किसी वॉलंटियर ने नहीं करवाया रजिस्ट्रेशन

-डीएम की अध्यक्षता में हुई थी स्वास्थ्य विभाग की मीटिंग

GORAKHPUR:

कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए सरकार की ओर से शुरू की गई मुखबिर योजना सिटी में फेल साबित हो रही है। दो माह बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग वॉलंटियर की तलाश कर रहा है लेकिन आज भी उसके हाथ खाली है। जबकि शहर में योजना को सफल बनाने के लिए पीसीपीएनडीटी सलाहकार समिति की दो माह पहले डीएम कैंप कार्यालय में मीटिंग हुई थी। जिसमें मुखबिर योजना पर चर्चा हुई थी। समिति के समक्ष तेरह नवीनीकरण और सात नए पंजीकरण की पत्रावलियां रखी गई थीं। जिनका अवलोकन करने के बाद सदस्यों ने नवीनीकरण और पंजीकरण करने की संतुति की थी। साथ ही यदि कोई एक्ट का उल्लंघन करता है तो उसपर तत्काल कार्रवाई का निर्णय लिया गया। आलम यह है कि एक भी वॉलंटियर नहीं मिले हैं और न ही अभी तक सीएमओ कार्यालय में किसी ने अपना रजिस्ट्रेशन ही करवाया है।

ये है योजना

इस योजना के तहत राज्य या केंद्र सरकार की सेवाओं में कार्यरत व्यक्ति या प्रेग्नेंट लेडी को मिथ्या ग्राहक या सहायक के तौर पर चुना जाता है। मिथ्या ग्राहक बनने वाली प्रेग्नेंट लेडी को शपथ पत्र देना होता है। मुखबिर मिथ्या ग्राहक या सहायक बनने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी से संपर्क किया जा सकता है। ये लोग उन अल्ट्रासाउंड सेंटर्स और नर्सिग होम्स की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देंगे जहां भ्रूण परीक्षण होता मिलेगा। अपराधियों का आसानी से पता लगाने के लिए ये लोग रासायनिक नोटों से भुगतान करेंगे। इस तरह से अपराधियों को पहचान लिया जाएगा। मुखबिर की सूचना पर पुलिस और हेल्थ डिपार्टमेंट की टीम बताए गए पते पर छापा मारेगी। इसके बाद संबंधित अल्ट्रासाउंड सेंटर और नर्सिग होम के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।

घोषित इनाम का भी नहीं दिख रहा असर

मुखबिर योजना के तहत घोषित इनाम का भी असर नहीं दिख रहा है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग के माथे पर बल पड़ गया है। सीएमओ के निर्देश पर संबंधित अधिकारी मुखबिर की तलाश में लगे हैं। भ्रूण हत्या को उकसावा देने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटर्स और नर्सिग होम्स की सही सूचना देने वाले मुखबिर को पहली किस्त केस दर्ज होने पर 20 हजार, दूसरी किस्त कोर्ट में बयान देने पर 20 हजार और तीसरी किस्त कोर्ट केस फाइनल होने पर 20 हजार रुपए दिए जाएंगे। वहीं यदि प्रेग्नेंट लेडी के सूचना देने पर केस दर्ज होने पर 30 हजार पहली किस्त, दूसरी किस्त कोर्ट में बयान देने पर 30 हजार और तीसरी किस्त कोर्ट में केस फाइनल होने पर 30 हजार रुपए मिलेंगे। इसके अलावा यदि अटेंडेंट बनकर जाने वाला व्यक्ति सूचना देता है तो केस दर्ज होने पर 10 हजार, दूसरी किस्त कोर्ट में बयान देने पर 10 हजार और तीसरी किस्त कोर्ट में केस फाइनल होने पर 20 हजार रुपए देने का प्रावधान है। सभी को यह राशि तीन किश्तों में मिलेगी। पहली किश्त तब मिलेगी जब सूचना सही निकलेगी। दूसरी किस्त न्यायालय में हाजिरी के दौरान मिलेगी और तीसरी किश्त तब मिलेगी, जब न्यायालय से दोषियों को सजा हो जाएगी। योजना में शामिल मुखबिर की पहचान गुप्त रखी जाएगी। इसका पूरा खर्चा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उठाएगा। लेकिन खबर गलत होने पर मुखबिर को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा।

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यह है कार्रवाई

पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत लिंग परीक्षण करवाने एवं जांच करवाने वाले दोनों के खिलाफ सजा का सख्त प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर एक लाख रुपए का जुर्माना एवं पांच साल तक की सजा हो सकती है। वहीं सेंटर का लाइसेंस भी जब्त हो जाएगा।

वर्जन

मुखबिर योजना को सफल बनाने के लिए एसीएमओ के नेतृत्व में टीम बनाई जा रही है। जो क्षेत्र में जाकर योजना के बारे में लोगों को बता रहे हैं। योजना के तहत इच्छुक आवेदन करने वाले सीएमओ कार्यालय में अपना रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। मुखबिर का नाम गोपनीय रखा जाएगा।

डॉ। रवींद्र कुमार, सीएमओ