पेट्रोल पंप के लिए भी

सीएम से लगाई थी गुहार

जब मेरे पति शहीद हुए तो उनकी उम्र महज 32 वर्ष थी और मेरी सिर्फ 28 साल थी। उस वक्त मेरे बड़े बेटे कपिल की उम्र 3 वर्ष थी और छोटा बेटा गौरव करीब 2 वर्ष का था। बच्चे छोटे थे। तो थोड़ी बहुत तकलीफ भी उठानी पड़ी। पेट्रोल पंप के लिए भी मैं अपने दोनों बेटों लेकर सीएम से मिली थी। तब जाकर थोड़ी बहुत मदद मिली। अब मेरे दोनों बेटों सब कुछ संभाल लिया है। नोएडा सेक्टर-54 में रहकर जिंदगी बिता रहे हैं।

- वीर नारी शंकुतला, नायक चमन सिंह की पत्नी

तो इसलिए नहीं की नौकरी

मेरे पति के कारगिल में शहीद होने के बाद सभी ने मुझसे कहा कि उम्र सिर्फ 26 साल है। दो छोटे बच्चे हैं। पहाड़ सी जिंदगी पड़ी है। कैसे कटेगी? अब मुझे नौकरी करनी चाहिए। मेरे लिए ये करना और सोचना काफी मुश्किल था। क्योंकि मेरे पति को शुरू से ही मुझसे नौकरी कराना पसंद नहीं था। अंत मैंने यही डिसीजन लिया कि मैं नौकरी नहीं करूंगी। वैसे मुझे परिवार से भी काफी सपोर्ट मिला। मेरे दोनों जुड़वा बेटे पढ़ाई में काफी होशियार हैं। नोर्थ कैंपस के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में पढ़ रहे हैं।

- वीर नारी कामेश, लांस नायक बच्चन सिंह की पत्नी

मेरे बच्चे सफल तो मैं सफल

जब कारगिल में मेरे पति शहीद हुए तो मैं 28 की थी। मेरे ऊपर दो बच्चों का भार था। बड़ी बेटी 10 साल की थी। बड़ा बेटा 7 का और सबसे छोटा बेटा 5 का। उसके बाद मैंने अपना यही ध्येय बना लिया कि अपने बच्चों का पढ़ा लिखाकर कामयाब इंसान बनाऊंगी। आज मेरी बेटी एमकॉम करने के बाद एलएलबी कर रही है। वहीं बड़ा बेटा एमबीए कर रहा है। सबसे छोटा दिल्ली यूनिवर्सिटी में रहकर बीएससी कर रहा है। मुझे गर्व है जिस तरह से मैं चाहती थी मेरे बच्चे उसी तरह से आगे बढ़ रहे हैं।

- वीर नारी राजबाला, सुरेंद्र सिंह की पत्नी

60 को ढेर कर हुए थे शहीद

12 जून को तोलोलिंग का ऑपरेशन शुरू हुआ था और 15 को फतह कर लिया था। मेरे पति लांस नायक ओम प्रकाश के बारे में उनके साथी बताते हैं कि उन्होंने देश की माटी की रक्षा में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने से पहले 60 दुश्मनों को मौत के घाट उतारा था। एक बम के गोले ने हमारे परिवार को तहस-नहस कर दिया। तब बच्चे छोटे थे। पहाड़ सी जिंदगी सामने थी, लेकिन उनकी याद और कुर्बानी को याद करते-करते आज 14 साल बीत गए हैं।

-मुनेश, शहीद सीएचएम यशवीर सिंह की पत्नी

विपदाएं पीछे छोड़ आगे बढ़ी

मेरे पति तोलोलिंग फतह करने वाली टीम का हिस्सा थे। एक मुकाम हासिल कर टाइगर हिल पर कब्जे के लिए बढ़े थे, लेकिन 28 जून का दिन उन पर भारी था। देश की रक्षा में वे शहीद हो गए। बेटा मेरा साढ़े तीन साल का था और बेटी उससे भी छोटी। सरकार और फौजी साथियों का इतना सहयोग मिला कि विपदाएं पीछे छोड़ आगे बढ़ी। आज बेटा श्रीराम कालेज ऑफ कॉमर्स में पढ़ रहा है। बच्चों के साथ जीवन पटरी पर लौट आयी है।

-बबिता, शहीद सतपाल सिंह की पत्नी

तब छह माह का बेटा था गोद में

मेरे पति तोलोलिंग की जंग फतह कर आगे बढ़े थे। नवल हिल की पहाड़ी पर दुश्मन के साथ मुठभेड़ में उन्हें शहादत झेलनी पड़ी। जब यह तूफान मेरी जिंदगी में आया तो छह माह का बेटा मेरी गोद में था। फौज और मित्रों के साथ परिवार का भरपूर साथ मिला। हम शनै: शनै: बढ़ते रहे। जिंदगी अब आसान हुई है। बेटा नौंवी में पढ़ रहा है।

- राजकुमारी, शहीद ओम प्रकाश की पत्नी