मेरा बेटा अपने दोस्तों के साथ प्लास्टिक चुनते हुए उस तरफ चला गया था। उन लोगों ने उसे नंगा कर बुरी तरह पीटा, जिससे उसका  हाथ टूट गया। इसके बाद उसे धूप में फेंक दिया। उन लोगों को इस मासूम पर थोड़ी भी दया नहीं आई। रात में जब उसे हॉस्पिटल लेकर आए तो डॉक्टर ने देखा, लेकिन अब तक न तो एक्सरे रिपोर्ट आयी है और न ही हाथों में प्लास्टर चढ़ा है। 10 साल के मासूम शाहरूख की अम्मी इस घटना से आहत है। उसे समझ नहीं आ रहा कि वो क्या करे। उनकाबच्चा दर्द से कराह रहा है। उन्होंने मामले की पुलिस में कम्प्लेन तक नहीं की है, क्योंकि उनका मानना है कि पुलिस पैसे वालों की ही सुनती है। साथ ही, इससे वो  कोर्ट-कचहरी के चक्कर में पड़ जाएगी व उनके बच्चों के भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।


दोस्तों के साथ जाना पड़ा महंगा
घटना मानगो थाना एरिया स्थित मिल्लतनगर की है। 10 साल का मो। शाहरूख अपने दोस्तों के साथ घूमते-घूमते ओल्ड पुरुलिया रोड स्थित कब्रिस्तान की ओर चला गया था। वहां जो उसके साथ हुआ, वह उस मासूम के लिए किसी दु:स्वप्न से कम नहीं था।

प्लास्टिक देने के बहाने बुलाया
10 साल का मो। शाहरूख अपने दोस्तों के साथ प्लास्टिक व अन्य सामान चुनते हुए जब ओल्ड पुरुलिया रोड स्थित कब्रिस्तान के पास पहुंचा, तो वहां एक व्यक्ति ने उसे प्लास्टिक देने के बहाने बुलाया। इसके बाद वह शाहरूख व उसके दो दोस्तों को अंदर ले गया।

बच्चों के साथ हुई गाली-गलौज
बच्चों को अंदर ले जाते ही उन व्यक्तियों के तेवर बदल गए। वे बच्चों के साथ गाली-गलौज करने लगे। उनके तेवर देख शाहरूख के दोनों दोस्त किसी तरह वहां से भाग निकले, जबकि शाहरूख उनकी चंगुल में फंस गया। इसके बाद जो हुआ वह किसी हॉरर से कम नहीं था।

नंगा कर पीटा, बेहोश होने पर धूप में फेंका
शाहरूख की अम्मी कहती है कि तीनों व्यक्तियों ने पहले शाहरूख की थप्पड़ व लात से जमकर पिटायी की। इसके बाद उसे नंगा कर दिया। नंगा करने के बाद मासूम को पीटा गया। 10 साल का उक्त मासूम जब मार बर्दाश्त नहीं कर सका, तो बेहोश हो गया। इसके बाद भी उन बेरहम लोगों को उसपर दया नहीं आयी। उनलोगों ने उसे पास ही में रोड के किनारे कड़ी धूप में फेंक दिया।


लोगों ने पहुंचाया घर
शाहयख की मां ने बताया कि कि उनकाबेटा घंटों धूप में बेहोश पड़ा रहा। भगवान का शुक्र है कि कुछ लोगों की नजर उसपर पड़ी। लोगों ने बच्चे को होश में लाया और उससे उसके घर का पता पूछा। इसके बाद वे लोग उसे घर छोड़ गए।


दादी ने कराया एडमिट
घटना संडे की है। संडे की रात शाहरूख की दादी उसे लेकर एमजीएम हॉस्पिटल पहुंची। यहां इमरजेंसी में ट्रीटमेंट के बाद उसे ऑर्थो वार्ड में एडमिट कर दिया गया। रात में इमरजेंसी में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने भी लापरवाही दिखायी व रात में न एक्सरे करवाया और न ही प्लास्टर। मंडे की शाम तक मासूम बिना प्लास्टर के दर्द से कराहता रहा। वह हॉस्पिटल के ऑर्थो वार्ड के बेड नंबर 11 पर पड़ा हुआ है।

हाथ टूटे, नहीं हुआ प्लास्टर
बुरी तरह हुई पिटायी में शाहरूख को गंभीर चोट आयी है। उसका हाथ भी टूट गया है, लेकिन हॉस्पिटल में संडे की रात से एडमिट रहने के बावजूद न तो उसका एक्स-रे रिपोर्ट ही आया था और न ही उसके टूटे हाथों में प्लास्टर ही किया गया था। रात में इमरजेंसी में डॉक्टर ने उसे देखा व एक्सरे के लिए लिखा, लेकिन मंडे की शाम तक न तो एक्सरे रिपोर्ट आयी थी और न ही बच्चे के टूटे हाथों का प्लास्टर हुआ था।

दो बजे तक किसी डॉक्टर ने नहीं किया विजिट
एमजीएम हॉस्पिटल में पेशेंट्स के साथ लापरवाही व व्यवस्था में खामी के कई मामले सामने आ चुके हैैं,  लेकिन अब तक कोई सुधार नहीं हो सका है। इसी का परिणाम है कि संडे की रात लगभग 10 बजे तक हॉस्पिटल में आए शाहरूख की मंडे की शाम तक न तो एक्सरे रिपोर्ट ही आयी थी और न ही उसके टूटे हाथों पर प्लास्टर चढ़ाया गया था। दोपहर के 2 बजे तक वार्ड में किसी डॉक्टर ने विजिट नहीं किया और न ही उस मासूम को दवा तक दी गई।


अम्मी- अब्बू दोनों रहते हैं अलग- अलग
शाहरूख की अम्मी व अब्बू दोनों अलग हो चुके हैैं। दोनों वर्षों से अलग रहते हैैं। शाहरूख के अब्बू मो। खलील पहले से दो शादी कर चुके हैैं। शाहरूख की मां उनकी तीसरी वाइफ है। शाहरूख के दो भाई व दो बहन है। शाहरूख व उसकी छोटी बहन अपने अब्बू के साथ रहते हैैं जबकि अन्य दो भाई-बहन अम्मी के साथ। शाहरूख कभी अम्मी के पास रहने आ जाता है, तो कभी अब्बू के पास रहता है। यही कारण है कि देर शाम तक घर वालों ने उसकी खोज-खबर नहीं ली। वे इसी उधेड़बुन में रहे कि वह अपनी अम्मी या अब्बू के पास है। शाहरूख के बड़े भाई ने उसके अब्बू को घटना की सूचना दी, लेकिन वे उसे देखने नहीं पहुंचे।

नहीं जाना पुलिस के पास
शाहरूख का कहना है कि जिन लोगों ने उसकी पिटायी की है, वह उसे नहीं जानता है, लेकिन वह उस जगह को पहचानता है, जहां ले जाकर उसकी बुरी तरह पिटायी की गई। हालांकि उसकी अम्मी कहती है कि वह मामले की पुलिस में कम्प्लेन नहीं करेगी, क्योंकि वह मजदूरी कर अपना व अपने बच्चों का पेट पालती है। पुलिस पैसे वालों की ही सुनती है। पुलिस के चक्कर में फंसने से उनके लिए आगे की परेशानी खड़ी हो जाएगी।