- नोटा के सामने कई कैंडीडेट्स को काफी कम पड़े वोट
- एवरेज हर विधानसभा सीट में एक हजार वोट नोटा के फेवर में आए
Meerut : भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल जीत गए। कांग्रेस की स्टार प्रचारक नगमा को करारी शिकस्त मिली। सपा के कैबिनेट मंत्री का जादू न चल सका हो। लेकिन इन सब के बीच एक ऐसा कैंडीडेट था जो पूरे चुनाव में पूरी तरह से खामोश रहा। ताज्जुब की बात तो ये रही कि इस खामोश कैंडीडेट ने आधे से ज्यादा कैंडीडेट की बोलती बंद कर दी। जी हां हम यहां नोटा की बात कर रहे हैं। जिसने वोट तालिका में छठी पायदान पर रहा।
नोटा से सात प्रत्याशी पीछे
इस बार के लोकसभा चुनावों में नोटा (नन ऑफ द अबव) को पहली बार शामिल किया गया था। कोई भी उम्मीद नहीं कर रहा था नोटा को दो हजार से ज्यादा वोट पड़ेंगे। लेकिन भ्ख्क्फ् वोट पाकर छठे स्थान पर रहना नोटा के लिए काफी बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है।
सबसे ज्यादा दक्षिण में
अगर बात विधानसभा वार आंकड़ों की करें तो सबसे ज्यादा नोटा को दक्षिण विधानसभा सीट से क्फ्0ब् वोट पड़े। उसके बाद मेरठ कैंट में क्क्फ्8 मत प्राप्त हुए। हापुड़ से नोटा का इस्तेमाल करने वाले 979 लोग रहे। वहीं किठौर से 9फ्फ् लोगों ने नोटा का बटन दबाया। सबसे कम मेरठ सिटी सीट से 8ब्8 वोट नोटा को पड़े।
सात कैंडीडेट्स को हराया
प्रत्याशी वोट
नोटा : भ्ख्क्फ्
सुनील दत्त : क्7फ्ब्
मुकेश कुमार : क्भ्ब्ख्
साजिद सैफी : क्08म्
अतुल : 8क्8
इकरा चौधरी : 7फ्ब्
अफजाल : फ्8ख्
अनिल : फ्ब्8
झलकियां
आखिर कहां थे शाहिद मंजूर?
यूपी गवर्नमेंट में कैबिनेट मंत्री और सपा प्रत्याशी शाहिद मंजूर को मतगणना स्थल पर हर आंख ढं़ूढती रही, लेकिन वो कहीं भी नजर नहीं आए। कोई उन्हें किठौर में बताता रहा तो कोई अपने घर में, लेकिन किसी के पास कोई पुख्ता जानकारी नहीं थी कि वो कहां है?
नगमा ने जल्दी छोड़ा मैदान
वहीं कांग्रेस की स्टार प्रचारक नगमा ने मेरठ से पहले राउंड के बाद ही अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया। वो पहले राउंड के बाद जो गई उसके बाद वापस नहीं लौटी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मानें तो वो हापुड़ गई थी। वो लगातार संपर्क में थीं।
अखलाक के लिए होती रही दुआएं
वहीं दूसरे पायदान पर रहे शाहीद अखलाक दोपहर ढ़ाई बजे तक रणभूमि पर रहे। उनके जानकार लगातार उनके लिए दुआएं और नमाज पढ़ते भी नजर आए। ताकि कोई चमत्कार हो जाए। इस चुनाव में सबसे ज्यादा झटका उन्हें ही लगा है।
अंत तक जमे रहे मेजर
आम आदमी के कैंडीडेट और पूर्व मेजर डॉ। हिमांशु अपने आर्मी स्वभाव को चुनाव की रणभूमि में भी नहीं छोड़ा। वो सुबह से लेकर शाम तक मतगणना स्थल पर रहे। भले ही वो पांचवे स्थान पर रहे। लेकिन उन्होंने अंत तक हार नहीं मानी।