- साल 1975 में भूमिहीन निर्धन परिवारों को ग्राम पंचायत की ऊसर भूमि की गई थी एलॉट

-पिछले महीने अचानक भूस्वामियों के नाम राजस्व विभाग की नोटिस पहुंचने से मचा हड़कंप

UNNAO: भूमिहीन जिन निर्धन परिवारों को ग्राम पंचायत की ऊसर भूमि को कृषि उपयोगी बनाने के लिए कृषि भूमि पट्टा आवंटित किया गया था, अब उसी भूमि को 40 वर्षो के बाद चारागाह की भूमि घोषित कर दिया गया है। भूस्वामियों के नाम राजस्व विभाग द्वारा नोटिस जारी किए जाने से भूमि पट्टा से लाभान्वित किसानों की भी नींद हराम हो गई है। पीडि़त किसानों ने जिलाधिकारी से पट्टे की भूमि को बचवाने की गुहार कर प्रदेश के राजस्व मंत्री को भी फरियादी पत्र भेज कर न्याय दिलाने की गुहार की है।

भूमिधर का अधिकार भी पा चुके

मामला सदर तहसील के गांव मैता परगना हड़हा का है। गांव के सीताराम, प्रताप सिंह, राजाराम, मोहनलाल, रजनू प्रसाद, रामसागर, राजकिशोर, गंगादेवी, सर्वेश कुमार आदि ने फरियादी पत्र में बताया है कि राज्य सरकार द्वारा 1975 में अभियान के तहत भूमिहीन निर्धन परिवारों में कृषि भूमि पट्टा का आवंटन कराया गया था। जिसमे ग्राम पंचायत की ऊसर भूमि भूमिहीनों को कृषि पट्टे के रूप में दी गई थी। तत्कालीन परगनाधिकारी सदर ने 1997 में संक्रमणीय श्रेणी से संक्रमणीय भूमि धर का अधिकार भी प्रदान किया था।

.तो हो जाएगी गंभीर समस्या

भूमिधर होने के 40 वर्ष बाद अचानक पिछले माह अपर जिलाधिकारी राजस्व के कार्यालय से हम भू स्वामियों को एक नोटिस जारी की गई है। जिसमें आवंटित भूमि को चारागाह की भूमि बताकर पट्टा निरस्त करने के लिए लिखा गया है। पीडि़त ग्रामीणों में नोटिस को लेकर हड़कंप की स्थिति है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों की मेहनत मशक्कत कर ऊसर भूमि को उपजाऊ बनाया जिसमें हजारों रुपए खाद पानी पर खर्च हुए। अब उसी भूमि से बेदखल किए जाने से परिवार के भरण पोषण की गंभीर समस्या खड़ी हो जाएगी।