- तीनों पेपर में ऐवरेज 60 प्रतिशत की बजाय 55 प्रतिशत मा‌र्क्स लाने पर हो सकेंगे पास

PATNA : यूजीसी ने नेट में ओबीसी स्टूडेंट्स को पांच प्रतिशत छूट देने का फैसला लिया है। ओबीसी स्टूडेंट्स के लिए बनने वाली नेट की मेरिट लिस्ट जिस कट ऑफ पर तैयार होती है, उसमें यूजीसी ने पांच प्रतिशत की राहत देने का निर्णय किया है। स्टूडेंट्स अब तीनों पेपर में औसत म्0 प्रतिशत अंक की बजाय भ्भ् प्रतिशत अंक आने पर भी नेट क्वलिफाइड हो जाएंगे। एक अनुमान के मुताबिक देश के अधिकांश केंद्रीय यूनिवर्सिटी में ओबीसी कोटे के करीब ब्0 प्रतिशत शैक्षणिक पद खाली पड़े हैं, जिनकी वजह नेट पास ओबीसी स्टूडेंट्स को डिग्री न मिलना है। इन रिक्तियों का सीधा असर यूनिवर्सिटी की शिक्षण व्यवस्था पर पड़ रहा है। नेट क्वालिफाई होने की न्यूनतम कट ऑफ म्0 से भ्भ् प्रतिशत करने की यूजीसी की इस कवायद को शैक्षणिक पद भरने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।

प्राइवेट यूनिवर्सिटी के लिए विधेयक

यूजीसी ने प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर नियंत्रण के लिए विधेयक लाने का फैसला किया है। इसके तहत प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कार्यकलाप में यूजीसी की दखल और व्यापक की जाएगी। इस विधेयक के लागू होने के बाद इन संस्थानों को डिस्टेंस और ओपन लर्निग पाठ्यक्रम जारी रखने की इजाजत नहीं मिलेगी। यही नहीं, इन संस्थानों को कोई नया कोर्स शुरू करने या किसी नए संस्थान पर कैंपस शुरू करने के लिए यूजीसी के साथ केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से भी मंजूरी लेनी होगी।

सबसे आखिर में बनती है मेधा सूची

नेट की प्रक्रिया पूरी करने के बाद सबसे आखिर में मेधा सूची तैयार की जाती है। ओबीसी उम्मीदवारों के लिए पहले और दूसरे प्रश्न-पत्र की अंक सीमा न्यूनतम फ्भ् प्रतिशत और तीसरे प्रश्न-पत्र के लिए ब्भ् प्रतिशत है। अगर कोई स्टूडेंट्स सभी पेपर में इतने प्रतिशत अंक प्राप्त कर लेता है, तो भी उसे नेट क्वालिफाई नहीं माना जाता। इसमें से ऊपर के क्भ् प्रतिशत बच्चों को ही नेट क्वालिफाई माना जाता है। ओबीसी के स्टूडेंट्स को अभी तक म्0 प्रतिशत नेट क्वालिफाई माना जाता था।

क्या है चयन की प्रक्रिया

नेट में सफलता की पहली शत है तीनों प्रश्न-पत्रों में यूजीसी द्वारा निधार्रित न्यूनतम अंक प्रतिशत को प्राप्त करना। अभी सामान्य श्रेणी के आवेदकों के लिए पहले और दूसरे प्रश्न-पत्र की न्यूनतम अंक सीमा ब्0-ब्0 फीसदी और तीसरे की भ्0 फीसदी है। ओबीसी उम्मीदवारों के लिए पहले और दूसरे प्रश्न-पत्र की अंक सीमा फ्भ् प्रतिशत और तीसरे प्रश्न-पत्र के लिए ब्भ् प्रतिशत है। एससी, एसटी व शारीरिक अशक्त आवेदकों के लिए भी पहले और दूसरे प्रश्न-पत्र की न्यूनतम अंक सीमा सही है। सिर्फ तीसरे प्रश्न-पत्र के लिए यह अंक सीमा ब्0 प्रतिशत है।

इस फैसले के बाद अगर ब्0 प्रतिशत टीचर्स की सीटें भर जाती हैं, तो इसका सीधा फायदा स्टूडेंट्स को होगा। ओबीसी स्टूडेंट्स को इससे सबसे ज्यादा फायदा होगा। पहले म्0 प्रतिशत पर था, जो अब भ्भ् प्रतिशत तक पर भी पास घोषित किए जाएंगे।

डॉ। संजय कुमार सिन्हा, यूजीसी को-ऑर्डिनेटर, पीयू