नया चलन: हर बात पर कर दिया जाता है भारत बंद का एलान

PATNA : हर बात पर भारत बंद कर सड़कों पर आग जलाकर प्रदर्शन करना आम हो गया है। भारत बंद के नाम पर उत्पात से पूरा शहर परेशान हो जाता है। भय से स्कूल बंद हो जाते हैं और पब्लिक भी घरों में कैद हो जाती है। एससीएसटी के विरोध में सवर्णो के भारत बंद को अभी एक सप्ताह भी नहीं बीता कि फिर भारत बंद की हुंकार से लोगों में डर पैदा हो गया है। स्कूल कॉलेज बंद हो गए हैं और सुरक्षा को लेकर आम इंसान भी चिंता में हैं।

एक और भारत बंद

पेट्रोल-डीजल की महंगाई की आग में एक बार फिर भारत बंद की आग में जलेगा। 10 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया है जिसमें विपक्ष का समर्थन है। वाहन चालकों ने भी मोर्चा खोल दिया है। सभी ट्रेडर्स ने मिलकर 10 को पूरे दिन राज्य भर में किसी तरह के वाहन के परिचालन पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। पटना समेत पूरे बिहार में ऑटो रिक्शा, मिनी बस, नगर बस सेवा, मिनी डोर, ई रिक्शा व बसों का परिचालन ठप राने का आह्वान किया है।

बंद से नुकसान

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बंद में प्रदर्शनकारी सड़क और रेल मार्ग को बंद कर देते हैं। इससे आम इंसान को 500 कदम की दूरी तय करने के लिए 5 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है।

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बंद में स्कूल संचालक बच्चों की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए स्कूलों को बंद कर देते हैं। हर आम इंसान के मन में इस दिन भय व्याप्त रहता है।

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बंद में बाजार से लेकर छोटे-बड़े कारोबार तक ठप्प हो जाते हैं। हर बंद में करोड़ों रुपए का नुकसान होता है। सेंसेक्स तक में गिरावट आ जाती है।

बंदी से दहशत में इंसान

2 अप्रैल - 21 मार्च के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों ने भारत बंद का एलान किया। इस बंदी में पूरा बिहार परेशान हुआ। रेल से लेकर यातायात व्यवस्था प्रभावित हो गई। इसी बंदी ने भारत बंद का ट्रेंड ला दिया।

2 अगस्त - को मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के विरोध में विपक्षी पार्टियों ने बिहार बंद का आह्वान किया। इसमें आरजेडी, कांग्रेस, हम और सपा के साथ कई दलों का समर्थन मिला था। सड़क और रेल मार्ग को बाधित किया गया।

9 अगस्त - एससीएसटी एक्ट को और सख्त बनाने को लेकर दलित संगठनों ने बंदी का आहवाहन किया।

6 सितंबर - एससीएसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में सवर्णो ने बंद का आह्वान किया। यातायात व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित रही।