किसी घटना के बाद नहीं होगी एंबुलेंस की problem
रोड एक्सीडेंट के बाद एक घंटे का समय ‘गोल्डन आवर’ के नाम से जाना जाता है। डॉक्टर्स भी इस बात को मानते हैैं कि अगर एक्सीडेंट के एक घंटे के भीतर व्यक्ति को सही ट्रीटमेंट मिले तो उसकी जान बचायी जा सकती है। रांची ट्रैफिक पुलिस ने इस कांसेप्ट को लागू करने की तैयारी कर ली है। एक फरवरी से स्टेट कैपिटल में राजधानी में इसकी शुरुआत हो रही है। सिटी पुलिस भी कुछ इसी तरह का इनिशियेटिव लेने की तैयारी कर रही है।

City police ने लिया initiative
सिटी पुलिस ने भी इसे लेकर प्लानिंग की है। रोड एक्सीडेंट्स के बाद घायल को बेहतर ट्रीटमेंट फैसिलिटी देने की योजना पर काम भी चल रहा है। एसएसपी अमोल वी होमकर ने बताया कि किसी भी इनिशियेटिव से अगर पŽिलक को बेनिफिट होता है तो उसे एडॉप्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि रांची में स्टार्ट हो रहे इस कांसेप्ट को समझने के बाद इसे सिटी में भी इंप्लीमेंट किया जाएगा।

तैनात रहेंगे ambulance
एसएसपी ने बताया कि सिटी के विभिन्न स्ट्रेटजिक प्वाइंट्स पर एंबुलेंस की व्यवस्था रहेगी। इसे लेकर पुलिस की जुस्को के
साथ एक राउंड की मीटिंग भी हो चुकी है। ये एंबुलेंस लोकल थाना से कनेक्ट रहेंगे और किसी भी तरह की घटना के बाद लोकल
थाना को जानकारी मिलते ही घटनास्थल पर एंबुलेंस भेजा जाएगा। इससे काफी हद तक राहत मिल सकेगी।

Dangerous हैं गोलमुरी, सिदगोड़ा व ओलीडीह
ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों से यह बात उभर कर सामने आयी है कि गोलमुरी, सिदगोड़ा व ओलीडीह थाना एरिया रोड एक्सीडेंट के मामले में सेंसेटिव हैं। इसके अलावा गोलमुरी चौक से स्लैग रोड, टाटा-चाईबासा मेन रोड, रेलवे स्टेशन से बिष्टुपुर मेन रोड, डिमना रोड व मानगो-पारडीह रोड में भी रोड एक्सीडेंट की काफी घटनाएं हुईं।

घायलों की संख्या बढ़ी
सिटी में लास्ट इयर की अपेक्षा रोड एक्सीडेंट में मरने वालों की संख्या में कमी तो आयी है, लेकिन घायलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2012 में रोड एक्सीडेंट में 189 की मौत हुई और 335 लोग इंजर्ड हुए, वहीं वर्ष 2013 में नवंबर तक 140 लोगों की डेथ हुई और 345 लोग इंजर्ड हुए।

 

Report by : goutam.ojha@inext.co.in