- यूजीसी ने लेटर जारी कर जताई आपत्ति

LUCKNOW: अब यूनिवर्सिटी और डिग्री कॉलेज अपनी मर्जी से डिग्री कोर्सेस शुरू नहीं कर पाएंगे और न ही उसका नाम दे पाएंगे। यूजीसी ने इस पर सख्त आपत्ति दर्ज कराई है। यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटी को लेटर जारी कर कहा है कि वे केवल यूजीसी से मान्यता प्राप्त डिग्री कोर्सेस को ही लागू करें। बिना यूजीसी के अप्रूवल के ऐसी कोई भी डिग्री अवैध मानी जाएगी। इसके बावजूद भी वे नए कोर्स लागू करना चाहते हैं तो उसे छह महीने पहले यूजीसी से औपचारिक मंजूरी लेनी होगी।

दो कोर्स की 'खिचड़ी'

शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण होने से केवल निजी यूनिवर्सिटी और संस्थान ही नहीं बल्कि सरकारी यूनिवर्सिटी और डिग्री कॉलेज के बीच कॉम्प्टीशन काफी बढ़ गया है। हर साल हाईटेक कोर्स शुरू करने के की दुहाई देकर स्टूडेंट्स को एडमिशन के लिए आकर्षित किया जाता है। संस्थान दो कोर्स को मिलाकर नए नाम से एडवांस डिग्री कोर्स खोल देते हैं और फिर पुराने कोर्स में ही मामूली बदलाव कर नया कोर्सेस का नाम दे देते हैं। स्टूडेंट्स इन नए कोर्सेस के चक्कर में आसानी से फंस जाते है। यूजीसी की मानें तो ऐसी डिग्री मान्य नहीं है।

लेनी होगी यूजीसी से मंजूरी

यूजीसी ने साफ किया है कि देश में वे ही डिग्री कोर्स मान्य होंगे, जो औपचारिक तौर पर गजट में शुमार होंगे। यूजीसी के अनुसार यूजीसी एक्ट क्9भ्म् के सेक्शन ख्ख् के आधार पर ही डिग्री प्रदान की जाती है। इससे इतर सारी डिग्रियां अवैध मानी जाएंगी।

एलयू में सामने आ चुका है मामला

एलयू में भी ऐसा मामला पकड़ में आया था, जिसके बाद यूजीसी ने नोटिस भेजकर कोर्स को मान्यता देने से इंकार कर दिया था। यूनिवर्सिटी में तत्कालीन वीसी प्रो। आरपी सिंह ने कुछ कोर्स शुरू कर दिए थे, जिसे न यूजीसी ने मान्यता दी थी और न ही उन कोर्स का कोई भविष्य था। साथ ही, यूजीसी कीसूची में इस नाम से कोई कोर्स नहीं थे। इसके बाद ऐसे कोर्स को यूनिवर्सिटी को बंद करना पड़ा था।