i exclusive
-बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए जल्द लगाई जाएगी रोटा वायरस वैक्सीन
-मार्केट में महंगी है वैक्सीन, सबके बस का नहीं है लगवाना
ALLAHABAD: जानलेवा रोटा वायरस से डरने की जरूरत नहीं है। इससे बचाव का टीका जल्द ही नि:शुल्क उपलब्ध होगा। स्वास्थ्य विभाग डायरिया से होने वाली मौतों की रोकथाम के लिए जल्द ही इस टीके को नियमित टीकाकरण प्रोग्राम में शामिल करने जा रहा है। इस वैक्सीन को लगाने से गंभीर दस्त की बीमारी से बच्चों को निजात मिल सकेगी।
दस राज्यों में लग रही है वैक्सीन
अभी तक यह वैक्सीन देश के दस राज्यों में चरणबद्ध तरीके से लगाई जा रही है। इनमें हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, असम, राजस्थान, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा और झारखंड शामिल हैं। 11वें राज्य के रूप में यूपी में वैक्सीन की सप्लाई की जानी है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वैक्सीन बच्चे को होने वाले दस्त के एक महत्वपूर्ण कारण से सुरक्षा प्रदान करती है। जिले में जुलाई माह से टीकाकरण अभियान में यह वैक्सीन शामिल होगी।
मार्केट में महंगी है कीमत
रोटा वायरस से होने वाली मौतों को देखते हुए डॉक्टर अक्सर पैरेंट्स को बच्चों को रोटा वायरस का टीका लगाने की सलाह देते हैं। मार्केट में रोटा वायरस वैक्सीन बनाने वाली कई फार्मा कंपनियां हैं। जिनकी कीमत 2000 रुपए प्रति वैक्सीन के आसपास है। ऐसे में महंगा टीका लगवाना हर किसी के बस की बात नही होती। सरकार द्वारा नि:शुल्क किए जाने के बाद यह सुविधा सभी को प्रदान की जा सकेगी।
-रोटावायरस संक्रमण की शुरुआत हल्के दस्त से होती है, जो आगे जाकर गंभीर रूप ले सकता है ।
- पर्याप्त इलाज न मिलने के कारण शरीर में पानी व नमक की कमी हो सकती है। कुछ मामलों में बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है।
-रोटावायरस संक्रमण में गंभीर दस्त के साथ-साथ बुखार और उल्टियां भी होती हैं और कभी-कभी पेट में दर्द भी होता है। दस्त एवं अन्य लक्षण लगभग 3 से 4 दिन रहते हैं।
फैक्ट फाइल
05 वर्ष तक के बच्चों की होने वाली मौतों में 10 प्रतिशत मौतें डायरिया के कारण होती हैं।
01 लाख 20 हजार बच्चे प्रतिवर्ष डायरिया से मर रहे हैं।
40 प्रतिशत बच्चे रोटावायरस संक्रमण के शिकार होते हैं जिले में प्रतिवर्ष दस्त से पीडि़त होकर हॉस्पिटल पहुंचने वालों में
- 32 लाख बच्चे ओपीडी में आते हैं देशभर में और इसमें से आठ लाख को भर्ती कराया जाता है।
- 03 से 02 वर्ष की उम्र में रोटावायरस का अधिक खतरा होता है।
- 59 हजार ऐसे बच्चों की मौत प्रतिवर्ष होती है जिनकी उम्र मात्र दो वर्ष की होती है।
- 01 वर्ष तक जन्म के बाद बच्चों को पांच बार रोटा वायरस टीके की पांच-पांच बूंदे दी जाएंगी।
जुलाई माह के अंत में नियमित टीकाकरण अभियान के तहत रोटा वायरस को शामिल किया जाएगा। जनपद में 10 जुलाई तक एएनएम आशा आंगनबाड़ी के प्रशिक्षण का कार्य पूरा कर लिया जायेगा।
-डॉ। गिरिजाशंकर बाजपेई, सीएमओ, इलाहाबाद