जिम्मेवारी एक-दूसरे पर डाली जा रही
मंडे को हुए इंसिडेंट के बाद आरपीएफ कमांडेंट एके चौरसिया ने आई नेक्स्ट से बात करते हुए कहा कि पैसेंजर ट्रेन्स में सिक्योरिटी की जिम्मेवारी जीआरपी की होती है। उनका कहना था कि आरपीएफ के कई एक्सप्रेस ट्रेन्स के इस्कॉर्ट की जिम्मेवारी होती है। उन्होंने यह भी कहा कि दो दिनों के अंदर वे रेल एसपी के साथ मीटिंग करेंगे और रात में चलने वाली ट्रेन्स में इस्कॉर्ट भेजने को लेकर बात करेंगे। उन्होंने इसमें आरपीएफ द्वारा पूरा सहयोग देने की बात कही।

सामान के साथ ही खुद की सुरक्षा भी अपने हाथ
एक बार ट्रेन में बैठ गए तो सबकुछ राम भरोसे ही होता है। कभी भी आरपीएफ और जीआरपी के जवान नहीं दिखते। अगर कोई किसी पैसेंजर के साथ बदमाशी करे, तो दो ही ऑप्शन होते हैं या तो पैसेंजर्स उससे निपट लें या फिर वे जो करना चाहते हैं वह करने दें। कुछ ऐसा ही कहना था टाटा-धनबाद टे्रन से धनबाद जाने वाले सुमित और अंकित का। ट्यूज्डे को टाटानगर रेलवे स्टेशन पर आई नेक्स्ट से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पैसेंजर ट्रेन्स में ट्रेवल करने वाले पैसेंजर्स की तो रेलवे की नजर में कोई वैल्यू ही नहीं है। अपनी फैमिली के साथ धनबाद जा रहे रामपलक ने कहा कि पहले भी पैसेंजर ट्रेन पर रात में नक्सली हमले हुए हैं, पर सिक्योरिटी के नाम पर बयानबाजी से ज्यादा कुछ नहीं हो पाया।

मैन पावर की कमी का रोना जारी है
कई इंसिडेंट हो जाने के बाद भी रात में चलने वाली पैसेंजर टे्रन में सिक्योरिटी की व्यवस्था क्यों नहीं की जा सकी। इस सवाल पर टाटानगर जीआरपी थाना इंचार्ज रामचंद्र राम कहते हैं कि जीआरपी में मैन पावर की कमी की वजह से वे ऐसा नहीं कर पाते। उन्होंने बताया कि जीआरपी गीतांजलि एक्सप्रेस को इस्कॉर्ट करते हुए राउरकेला ले जाती है और उधर से आजाद हिंद एक्सप्रेस को इस्कॉर्ट करते हुए वापस आती है। टाटानगर जीआरपी के पास दूसरी ट्रेन्स में इस्कॉर्ट भेजने के लिए कांस्टेबल और ऑफिसियल्स अवेलबल नहीं। उधर आरपीएफ कमांडेंट ने भी मैन पावर की कमी की बात कही। उन्होंने भी कहा कि अभी जितनी ट्रेंस में इस्कॉर्ट भेजी जा रही है उससे ज्यादा ट्रेन्स में ऐसी व्यवस्था करने के लिए उनके पास जवानों की कमी है।


वैसे तो पैसेंजर ट्रेन्स में सिक्योरिटी की व्यवस्था जीआरपी के पास होता है पर हम रेल एसपी के साथ दो दिनों के अंदर मीटिंग करेंगे और कम से कम रात में चलने वाली ट्रेन्स में इस्कॉर्ट की व्यवस्था की जाए, इसपर बात करेंगे।
- एके चौरसिया, कमांडेंट आरपीएफ चक्रधरपुर डिवीजन

हमारी सिक्योरिटी को लेकर रेलवे डिपार्टमेंट बिल्कुल भी सीरियस नहीं। हम ट्रेन में ट्रैवल करते समय डरे हुए रहते हैं। एक बार भी पुलिस वाले नहीं दिखते।
- रामपलक, पैसेंजर

रेलवे को एक नया एनाउंसमेंट शुरू करवाना चाहिए, जिसमें अपने सामान के साथ ही अपनी जान की सुरक्षा भी पैसेंजर के हाथ में होने की बात कहनी चाहिए। उन्हें हम जैसे पैसेंजर से क्या मतलब।
- सुमित अग्रवाल, पैसेंजर

कुछ खास एक्सप्रेस ट्रेन्स में ही इस्कॉर्ट की व्यवस्था क्यों होती है। क्या पैसेंजर ट्रेन में ट्रैवल करने वाले लोग नहीं होते और उनकी इज्जत और जान की कोई कीमत नहीं होती।
- अंकित, पैसेंजर

हमारे पास मैन पावर जितनी होगी उसी के एकॉर्डिंग ही हम पैसेंजर को सिक्योरिटी प्रोवाइड करा सकते हैं। कांस्टेबल और ऑफिसियल्स की संख्या कम होती जाती है पर उस जगह नए अप्वॉइंटमेंट नहीं हो रहे।
- रामचंद्र राम, इंचार्ज जीआरपी थाना टाटानगर

Report by :amit.choudhary@inext.co.in