कैबिनेट सेक्रेट्री शशांक शेखर ने बताया कि डॉ। सचान चुनाव लडऩा चाहते थे और उसके लिए वह ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने डॉ। बीपी सिंह की हत्या करवाई। शशांक शेखर सिंह ने बताया कि घटना में प्रयुक्त दो पिस्टल शूटर आनन्द तिवारी से प्राप्त हुई थीं। घटना स्थल से मिला कारतूस का खोखा इन दोनों पिस्टलों से ही चला है। इसका एफ.एस.एल। के माध्यम से मिलान हो चुका है।

इसके अलावा अभियुक्तों के मोबाइल कॉल डिटेल्स की जांच की गयी जिससे डॉ। सचान के आर.के। वर्मा, आनन्द तिवारी तथा विनोद शर्मा से सम्बन्ध डिजिटली प्रमाणित हो गये हैं।

उन्होंने बताया कि डॉ। सचान एवं आर.के। शर्मा के व्यापारिक और पारिवारिक सम्बन्ध विवेचना के दौरान प्रमाणित हुए हैं। अभियुक्तों की वॉयस रिकार्डिंग से साबित होता है कि यह कांट्रैक्ट किलिंग थी।

चुनाव लडऩा चाहते थे डा। सचान

शशांक शेखर ने बताया कि विवेचना के दौरान यह भी पता चला कि डॉ। सचान चुनाव लडऩा चाहते थे। इसके लिए उन्हें पैसों की जरूरत थी। सी.एम.ओ। फैमिली वेलफेयर के रूप में कार्य करते हुए तमाम वित्तीय अनियमितताओं के जरिये उन्होंने काफी धन इकट्ठा कर लिया था.  डॉ.बी.पी। सिंह ने सी.एम.ओ। परिवार कल्याण के पद पर आते ही डॉ। सचान के कार्यकाल की तमाम वित्तीय अनियमितताओं की जांच शुरू कर दी थी।

इसी से तंग आकर डॉ। सचान ने डॉ। बीपी सिंह की हत्या करा दी। उन्होंने दावा किया कि विवेचना के दौरान यह भी पता चला कि पूर्व में डॉ। सचान को आर.के। वर्मा और वर्मा के पार्टनर सौरभ खन्ना ने 10-10 लाख रुपये दिये थे। अभियुक्त आर.के। वर्मा ने यह भी बताया था कि डॉ। सचान से उनकी मित्रता कई वर्षों से चली आ रही थी। डॉ। सचान, डॉ। बी.पी। सिंह के साथ असहज हो गये थे और उनके बीच सम्बन्ध काफी खराब हो गये थे।

विवेचना पूर्ण हो गयी है और इस मुकदमे में आरोप पत्र संबन्धित न्यायालय को शीघ्र ही प्रेषित कर दिया जाएगा। वहीं डॉ। सचान के भाई डॉ। आरके सचान ने इसपर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि अगर डॉ। सिंह की हत्या मेरे भाई ने कराई थी तो आखिर उसकी हत्या किसने कर दी। डॉ। सचान ने कभी भी चुनाव लडऩे की नहीं सोची, न ही कभी इसका जिक्र किया।