-मक्का, सोयाबीन और सब्जी की फसल डूबने से किसानों के समक्ष आर्थिक समस्या

-दहशत में लोग, किसानों को सता रही है पशुचारे की ¨चता

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क्चश्वद्दस्न्क्त्रन्ढ्ढ/क्कन्ञ्जहृन्: गंगा के बढ़ते जलस्तर से दियारा में परेशानी बढ़ गई है। तेघड़ा प्रखंड के बरौनी-दो पंचायत के छह वार्ड और निपनियां मधुरापुर पंचायत के आठ वार्ड एवं बारो दक्षिणी पंचायत से सटे गुप्ता बांध दियारा क्षेत्र के 25 हजार से अधिक की आबादी घिर गए हैं। करीब हजारों एकड़ में लगातार गंगा के बढ़ते जलस्तर से क्षेत्र में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है। लोगों को

2016 में आई भयावह बाढ़ का डर सताने लगा है। बढ़ते जलस्तर से जहां किसानों की फसल में मक्का, सोयाबीन, बाजरा सहित रोज नकदी फसल (सब्जी) के डूब जाने से

किसानों के सामने आर्थिक समस्या उत्पन्न होने लगी है। साथ ही इलाके के किसान पशु पर आधारित रहते हैं। उनके सामने पशुचारे की समस्या उत्पन्न हो गई है। जान जोखिम में डालकर पशुचारा को काटने के लिए विवश है।

दियारा में डूब गई फसलें

वहीं बरौनी-दो पंचायत की मुखिया हरिवंश सिंह, निपनियां मधुरापुर पंचायत के मुखिया विवेक कुमार, बारो दक्षिणी पंचायत के मुखिया मो। जफर, किसान नेता देवराज सिंह, मनोरंजन सिंह, पप्पु कुमार, कमलेश कुमार,चंदन कुमार, बाल्मीकि राय, प्रमोद सिंह ने बताया कि गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण बाया नदी का भी जलस्तर बढ़ने लगा है। जिससे गुप्ता बांध पर बसे लोगों और बांध से सटे दियारा क्षेत्र की फसलें डूब गई है।

जीवन प्रभावित

इधर बछवाड़ा प्रखंड क्षेत्र के बिशनपुर पंचायत के सभी वार्डों में जलजमाव से जन जीवन अस्त व्यस्त है। मुखिया श्रीराम राय ने बताया कि विशनपुर पंचायत समेत चमथा के विभिन्न पंचायतों में प्रभावित होने से किसानों के समक्ष समस्या उत्पन्न हो गई है। जिला प्रशासन से आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।

मवेशी के लिए किसान पानी में तैरकर काट रहे चारा

प्रभावित किसानों ने बताया कि जलजमाव से पशुओं के लिए खेतों में लगी फसल एवं पशुचारा डूब जाने से भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बताया कि जिला प्रशासन के द्वारा एक भी नाव नहीं देने से आमजनों को मजबूर होकर फैले पानी में तैरकर पशुओं के लिए चारा लाना पड़ता है। मुखिया ने बताया कि वर्ष 2016 में जिला प्रशासन द्वारा उपल?ध कराए गए नाव जो जीर्णशीर्ण स्थिति में है उसे ही मरम्मत कर तत्काल काम चलाया जा रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि नाविक अपनी नाव देने के नाम पर बताते हैं कि वर्ष 2016 में आई बाढ़ में प्रशासन को सौंपी गई नाव का किराया लंबित रहने के कारण नाव देने से इंकार करते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ की विभिषिका झेल रहे पीडि़त को सिर्फ ईश्वर ही एकमात्र सहारा है। जिला प्रशासन के एक भी अधिकारी प्रभावित इलाके में झांकने तक नहीं आए हैं। पूर्व जिप सदस्य सह सीपीएम जिला कमेटी के सदस्य रामोद कुंवर ने डीएम से दियारा क्षेत्र में तत्काल नाव की व्यवस्था करने, मेडिकल टीम गठित करने, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चमथा में महीनों से ठप ओपीडी सेवा की शुरुआत करने समेत विभिन्न आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।