Zero रही visibility

लगातार बारिश से जूझ रही सिटी को पिछले दो दिनों से राहत मिली हुई है, बावजूद इसके ठंड कम होने का नाम नहीं ले रही। मंडे की मॉर्निंग ने लोगों का वेलकम घने कोहरे के साथ किया। आलम यह रहा कि विजिबिलिटी लगभग जीरो रही। इसके अलावा आसमान में बादल छाए रहने की वजह से दिनभर धूप भी नहीं निकल सकी। इसकी वजह से गलन में लगातार बढ़ोतरी जारी रही। दिन में कोहरे की मार कम हो जाने के चलते सड़कों पर खासी भीड़ नजर आई। मॉल्स और मार्केट में भी लोगों का आना शुरू हो गया है।

लुढ़का पारा

पिछले कई दिनों से स्थिर चल रहा तापमान मंडे को अचानक गिर गया। मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक न्यूनतम तापमान संडे को जहां 11 डिग्री था वहीं मंडे को 7.8 डिग्री पहुंच गया। इस तरह से कुल गिरावट 3.2 डिग्री रही। बता दें कि लगातार तापमान दस डिग्री से ऊपर चल रहा था। मौसम विभाग की मानें तो अभी पारा और नीचे जा सकता है, जिसकी वजह से गलन में बढ़ोतरी हो सकती है।

बसें हो हुई लेट, मरीजों की बढ़ी संख्या

अचानक कोहरा पड़ जाने की मार यात्रियों को भुगतनी पड़ी। इसके चलते मॉर्निंग में लखनऊ, आजमगढ़, वाराणसी, कानपुर की ओर से आने वाली बसें एक से दो घंटे लेट बस अड्डे पर पहुंचीं। विजिबिलिटी कम होने के चलते बसों को धीरे-धीरे चलाया गया। इसके अलावा हॉस्पिटल्स में भी मरीजों की संख्या लगातार बढऩे का सिलसिला जारी है। बेली, कॉल्विन और एसआरएन हॉस्पिटल में ठंड से परेशान मरीज ओपीडी पहुंचे। इनमें सबसे ज्यादा हार्ट, ब्रीथ और ज्वाइंट पेन के मरीज शामिल हैं। बच्चों में कोल्ड डायरिया के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं।

मेले में साधु-संत आगे आए

फ्राइडे की नाइट हुई जोरदार बारिश से अस्त-व्यस्त हुए माघ मेले की रौनक धीरे-धीरे लौटने लगी है। या यूं कह लें कि मेला दोबारा बसना शुरू हो गया है। जलभराव में कमी होने के बाद हालांकि अभी भी मेले की सड़कें दलदल बनी हुई हैं लेकिन कल्पवासियों के नाते-रिश्तेदारों और श्रद्धालुओं का आवागमन शुरू हो गया है। पांडालों में होने वाले भजन-कीर्तन में लोगों की भीड़ जुटने लगी है। मंडे को खाक चौक में चल रहे राहत कार्य में साधु-संतों ने हाथ बंटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रशासन द्वारा डाली गई बालू उन्होंने खुद बढ़-चढ़कर रास्तों पर डाला, जिससे सिचुएशन सामान्य हो सकी।

Hospitals को मिला proper इलाज

बारिश में भीग चुके मेला हॉस्पिटल्स का इलाज शुरू कर दिया गया है। उनको पानी से बचाने के लिए प्लास्टिक से ढकने का काम मंडे को युद्धस्तर पर हुआ। तबाह हो चुके टायलेट्स को रिस्टोर कराने के साथ नए टॉयलेट बनाए जाने लगे हैं। हेल्थ डिपार्टमेंट के मेला प्रभारी डॉ। अरुण कुमार के मुताबिक मरीजों के लिए दो मोबाइल हॉस्पिटल भी शुरू किए गए हैं, जहां आसानी से इलाज और दवाएं उपलबध हैं। इसके साथ घाटों की सफाई का काम चालू कर दिया गया है।