-दो महीने तक हर शख्स के सिर पर सजी रही पॉलिटिकल पार्टीज की टोपी अब हुई गायब

-वोटिंग के बाद उतर गया चुनावी रंग, लोग लौटे असल जिंदगी में

VARANASI : दो महीने शहर राजनीति के रंग में रंगा रहा। चुनाव प्रचार के ढेरों तरीकों के साथ टोपी ने खूब माहौल बनाया था। शनिवार को शहर से यह रंग उतर गया। वोटिंग खत्म होते ही हर शख्स के सिर पर सजी पॉलिटिकल पार्टीज की टोपी गायब हो गयी। एक बार फिर लोग असल जिंदगी में लौट आए। उनके बीच अब कोई राजनीतिक दूरी नहीं है। सब अपने-अपने रोजी-रोजगार में मशगूल हो गए हैं। चाय-पान की अड़ी पर चुनावी चर्चा नहीं हो रही है। सिर से टोपी गयी तो चिलचिलाती धूप की असलियत भी समझ आने लगी है। इससे बचने के लिए बनारसी स्टाइल के गमछे की एक बार फिर याद आने लगी है।

जबरदस्त बनाया माहौल

-बनारस संसदीय सीट से दिग्गज लीडर्स के इलेक्शन लड़ने से यह हॉट सीट थी।

-चुनाव प्रचार के कई नायाब तरीके इजाद किए गए, इसमें टोपी भी एक थी।

-हर पार्टी ने वर्कर्स और सपोटर्स को हजारों टोपियां बांटी।

-ढेरों क्वालिटी की टोपी की कीमत दो रुपये से लेकर आठ सौ रुपये तक रही।

-कैम्पेन, रैली, रोड शो के दौरान हर पार्टी ने टोपी से खूब माहौल बनाया।

-बीजेपी ने भगवा, सपा ने लाल, बसपा ने नीली और आप ने सफेद टोपी का इस्तेमाल किया।

-छोटे दलों व निर्दल कैंडीडेट्स के सपोटर्स ने भी अलग-अलग तरह की टोपी लगायी।

अब सूना लग रहा सिर

-ढेरों लोग ऐसे थे जिन्होंने पिछले दो महीने से सिर पर पॉलिटिकल पार्टीज की टोपी लगा रखी थी।

-टोपी उतरने के बाद अब उन्हें सिर पर खालीपन सा महसूस हो रहा है।

-टोपी तेज से धूप से बचाने में भी मददगार थी, गायब होते इसका हमला हो शुरू हो गया है।

-गर्मी से बचने के लिए लोगों को एक बार फिर गमछे की याद आने लगी है।

-शहर के लोगों के बीच का राजनीतिक अलगाव टोपी उतरते खत्म हो गया।

-टोपी पहने सपोटर्स की भीड़ के जरिए माहौल बनाने वाले नेता अब अपनों को पहचान नहीं पा रहे हैं।

-सिर पर टोपी देखकर अड़ी पर चुनावी चर्चा करने वाले अलग विषय तलाश रहे हैं।

इस चुनाव में पार्टी वर्कर्स और सपोटर्स ने सिर पर टोपी और गले में गमछा पहनकर पार्टी की नीतियों को हर किसी तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण काम किया है। अब सपोटर्स टोपी न भी लगाएं तो क्या उनका पार्टी के लिए दिल में प्यार मौजूद रहेगा।

-देवानंद सिंह, सीनियर लीडर, बीजेपी

पार्लियामेंट इलेक्शन में पार्टी के प्रचार में टोपी ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। वोटिंग के बाद भी पार्टी वकर्स हर वक्त इसे सिर पर लगाए रखना चाहेंगे। इससे उनका पार्टी के प्रति प्यार और जुड़ाव महसूस होता है।

संदीप मिश्र, मीडिया प्रभारी, सपा

सिर पर टोपी बड़े-बड़े आंदोलन की पहचान रही है। हमारा भी एक मिशन है। बिना बोले ही हमारे सिर पर मौजूद टोपी हमारे मिशन को बताती है। मिशन से जुड़ा हर शख्स हर वक्त इसे लगाए रखता है।

रामानंद राय, मीडिया प्रभारी, आम आदमी पार्टी