घबराने की जरूरत नहीं

निर्धारित तिथि पर आयकर रिटर्न फाइल करने से चूकने वाले तारीख बीतने के बाद भी रिर्टन दाखिल कर सकते हैं। ऐसा करने पर करदाता को विभाग से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा।ऐसे वेतनभोगी जिनकी सालाना आय पांच लाख रुपये है और सभी व्यवसायियों को इनकम टैक्स जमा करना अनिवार्य है। वहीं, ऐसे प्राइवेट कर्मी जिनके वेतन से टीडीएस कट गया है, आयकर दफ्तर में रिटर्न दाखिल कर रिफंड लेते हैं। बिना ऑडिट के टैक्स रिफंड दाखिल करने के लिए 31 जुलाई तक समय होता है। इस बार इसे पहले 31 अगस्त तक और बाद में सात सितंबर तक बढ़ा दिया गया। सोमवार को कई कर दाताओं ने ऑनलाइन और दफ्तर में आकर भी रिटर्न जमा किए। सात सितंबर तक रिटर्न जमा करने वालों को घबराने की जरूरत नहीं। वे वित्त वर्ष 2014-15 का रिटर्न मार्च 2017 तक जमा कर सकते हैं।

दाखिल नहीं कर पाएंगे

ऐसे करदाताओं को समय से रिटर्न जमा करने की सुविधाओं से वंचित होना पड़ेगा। सीए अखिल रस्तोगी का कहना है कि समय सीमा के बाद रिटर्न जमा नहीं करने वाले करदाता अपने रिटर्न का संशोधित विवरणी दाखिल नहीं कर पाएंगे। मूल रिटर्न में कोई भी गड़बड़ी होने पर उसे रिवाइज किया जा सकता है। वहीं, वित्त वर्ष 2014-15 में व्यापार में हुई हानियों को अगले वित्त वर्ष में होने वाले लाभों से समायोजित नहीं किया जा सकेगा। इसके साथ ही तीसरा बड़ा नुकसान उन्हें एक फीसद प्रति माह की दर से ब्याज भी देना पड़ेगा। 31 मार्च 2016 के बाद रिटर्न दाखिल करने पर पांच हजार रुपये जुर्माना भी देना पड़ेगा। वित्त वर्ष 2014-15 का रिटर्न मार्च 2017 के बाद जमा ही नहीं कर सकेंगे।

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