संस्था को बाल गृह खोलने से पहले कराना होगा रजिस्ट्रेशन

-बिना रजिस्ट्रेशन के बाल गृह खोलने पर होगा केस दर्ज

DEHRADUN: अब तक बिना परमिशन व रजिस्ट्रेशन के बाल गृह खोल लेना बेहद आसान था। लेकिन अब बिना रजिस्ट्रेशन कराए बाल गृह खोलने पर संचालकों के खिलाफ न केवल मुकदमा दर्ज हो सकता है, बल्कि उन्हें कानूनी पेंच में भी फंसना पड़ सकता है।

अब रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य

समाज कल्याण विभाग की मानें तो अब तक बाल गृह खोलने के लिए किसी रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं पड़ती थी। लेकिन इससे काम नहीं चलेगा। बाकायदा बाल गृह के लिए पंजीकरण करना अनिवार्य कर दिया गया है। समाज कल्याण विभाग का मानना है कि बाल गृह की सूची विभाग के पास मौजूद रहे, जिससे जरूरत पड़ने पर विभाग उनका निरीक्षण कर सके। दरअसल, जानकारों की मानें तो समाज कल्याण विभाग के पास ऐसे कई बाल गृहों की शिकायतें पहुंची। जिसमें ट्रैफिकिंग के अलावा बच्चों को उनके बाल अधिकार मिल रहे हैं या नहीं, प्रमुख थे। इसके बाद विभाग ने केंद्र के निर्देशानुसार ऐसे बाल गृहों का रजिस्ट्रेशन करवाया जाना अनिवार्य कर ि1दया है।

सबसे ज्यादा बाल गृह दून में

समाज कल्याण विभाग के अनुसार इस वक्त प्रदेश में क्भ् बाल गृह संचालित हो रहे हैं। जिनमें से ज्यादातर देहरादून जिले में हैं और कुछ हरिद्वार में। लेकिन अब विभाग ने स्पष्ट किया है कि नए बाल गृह खुलेंगे तो उन्हें विभाग से रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए किसी फीस की जरूरत नहीं है। विभाग का मानना है कि ऐसे बाल गृहों में बाल अधिकारों के हनन, ट्रैफिकिंग जैसे मामले न हों, इसकी जानकारी महकमे के पास होनी जरूरी है। पंजीकरण प्रक्रिया के बाद जरूरतमंद पैरेंट्स को बच्चे एडॉप्ट करने में जहां सहूलियत मिलेगी, वहीं अनाथ बच्चों को पैरेंट्स भी मिल पाएंगे।

दून के अलावा सूबे के किसी भी जिले व हिस्से में कोई बाल गृह खोलता है तो पहले उसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। ऐसा न होने पर एफआईआर दर्ज होगी।

बीएस धानिक, निदेशक, समाज कल्याण।