काले मोके खीस लागे कोलावेरी डी, आज कल कर छोड़ा-छोड़ी गाय चलैना कोलावेरी डी यह अपनी नागपुरी में वाय दिस कोलावेरी डी? गाने की तर्ज पर आने वाला गाना है। झारखंड की फेमस सिंगर मिताली घोष ने इस गाने को खुद ही लिखा और रिकॉर्ड किया है.इसकी आडियो और वीडियो सीडी जल्द ही मॉर्केट में लाने की तैयारी चल रही है।

मिताली घोष के पति बुल्लू घोष ने बताया कि आजकल हर जगह वाय दिस कोलावेरी डी का जादू छाया हुआ है। इसी को देखते हुए मिताली के मन में ख्याल आया कि क्यों न इस पॉपुलर गाने को नागपुरी में बनाया जाए। इसी के बाद नागपुरी में यह गाना बन पाया है।

जिस तरह तमिल फिल्म मूंदरु (थ्री)के वाय दिस कोलावेरी कोलावेरी डी गाने के बोल और स्वर धनुष ने दिया है उसी प्रकार अपने नागपुरी च्काले मोके खिस लागे कोलावेरी डी च् को मिताली ने बोल और स्वर दिया है। लेकिन नागपुरी का जो गाना बना है वह कोलावेरी डी की हूबहू नकल नहीं है बल्कि सिर्फ कुछ वर्ड ही उससे लिए गए हैं। मूल गाना और धुन असली नागपुरी है। मिताली ने बताया कि यह नागपुरी गाना लोगों को काफी पसंद आएगा.

बैलेंस कर-बैलेंस कर, दिल के तोर बैलेंस कर। इल-इलू कहबे न, इ बतिया के तोर साइलेंस कर। दिल मोर कच-कचाय देले मोके कनफुज कर देबे यहा साल 1991-92 में मिताली द्वारा गाया हुआ पॉपुलर गाना था, जो पहली बार नागपुरी भाषा में इंग्लिश  और साउथ इंडियन लैंग्वेज को मिलाकर बनाया गया।

मिताली ने बताया कि जब यह गाना रिकॉर्ड होकर मॉर्केट में आया तो कुछ लोगों ने कहा कि मिताली नागपुरी गाने को बिगाड़ रही हैं, लेकिन जब यह गाना सुपर-डुपर हिट हुआ तो लोगों की जुबान बंद हो गई। चूंकि उस समय मीडिया और पॉपुलरिटी के इतने अधिक साधन नहीं थे इसलिए यह गाना सिर्फ झारखंड तक सीमित रहा गया। आज का टाइम होता तो यह गाना भी वाय दिस कोलावेरी डी? की तरह देशभर में लोकप्रिय होता।

झारखंड का अपना 'kolaveri di'

मिताली ने कहा कि नागपुरी गाने में पहले भी दूसरी भाषाओं के पॉपुलर बोल को लेकर गाने बनते रहे हैं। इसलिए काले मोके खिस लागे कोलोवेरी डी का प्रयोग मेरे लिए नया नहीं है। उम्मीद है कि यह गाना भी लोगों को पसंद आएगा।