Allahabad: उत्तराखंड दैवीय आपदा राहत व बचाव कार्य में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली एनडीआरएफ की टीम ने फ्राइडे को शहर के बाढग़्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया। टीम ने प्रशासन के साथ मिलकर राहत सामग्री बांटी और लोगों का हालचाल जाना। इस दौरान टीम ने बाढ़ से होने वाले खतरे से सभी को आगाह करते हुए सतर्क रहने को कहा.
हालात अभी भी खतरनाक
एनडीआरएफ टीम इंचार्ज सहायक कमांडेंट आरपी सिंह ने बताया कि उनकी टीम ने बघाड़ा, गोविंदपुर, दारागंज सहित कई क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने बताया कि अभी भी इन क्षेत्रों के हालात नाजुक है। पानी का लेवल काफी धीमी गति से घट रहा है और कभी-कभी इसमें बढ़ोतरी भी होती है। फिलहाल इन क्षेत्रों में अभी भी नौ से दस फीट पानी भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि उड़ीसा से 83 मेंबर्स को लेकर टीम पूरी तैयारी के साथ आई है। उनके पास अपनी मोटरबोट और लाइफ जैकेट हैं। वह किसी भी आपदा के लिए हर पल तैयार हैं। इसके पहले उत्तराखंड और फिर बलिया, गाजीपुर और पटना में बाढ़ राहत व बचाव कार्य में वह अपना योगदान दे चुके हैं। टीम के साथ राहत कार्य में डीएम राजशेखर भी पूरे समय मौजूद रहे। उन्होंने भी मोटरबोट के जरिए घर-घर जाकर पीडि़तों का हालचाल लिया.
अभी भी दहशत के शिकार
उधर गंगा-यमुना का पानी भले ही घट रहा हो लेकिन लोगों में दहशत बरकरार है। जिसकी वजह से राहत शिविरों में पीडि़तों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। फ्राइडे को यह संख्या बढ़कर तीन हजार पहुंच गई। इसके पहले दो बार घर जाकर वापस लौट चुके लोगों में फिलहाल घर लौटने की हिम्मत नहीं हो पा रही है। बघाड़ा के रहने वाले कुलदीप और शिवम ने बताया कि उनके घर के आसपास पानी कम हो चुका है लेकिन वह अभी कुछ दिन और राहत शिविर में रहेंगे। जब तक खतरा पूरी तरह टल नहीं जाता वह वापस नहीं जाएंगे। डीएम ने भी राहत शिविरों का दौरा करके लोगों को मिलने वाली सामग्री का निरीक्षण किया.
हालात अभी भी खतरनाक
एनडीआरएफ टीम इंचार्ज सहायक कमांडेंट आरपी सिंह ने बताया कि उनकी टीम ने बघाड़ा, गोविंदपुर, दारागंज सहित कई क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने बताया कि अभी भी इन क्षेत्रों के हालात नाजुक है। पानी का लेवल काफी धीमी गति से घट रहा है और कभी-कभी इसमें बढ़ोतरी भी होती है। फिलहाल इन क्षेत्रों में अभी भी नौ से दस फीट पानी भरा हुआ है। उन्होंने कहा कि उड़ीसा से 83 मेंबर्स को लेकर टीम पूरी तैयारी के साथ आई है। उनके पास अपनी मोटरबोट और लाइफ जैकेट हैं। वह किसी भी आपदा के लिए हर पल तैयार हैं। इसके पहले उत्तराखंड और फिर बलिया, गाजीपुर और पटना में बाढ़ राहत व बचाव कार्य में वह अपना योगदान दे चुके हैं। टीम के साथ राहत कार्य में डीएम राजशेखर भी पूरे समय मौजूद रहे। उन्होंने भी मोटरबोट के जरिए घर-घर जाकर पीडि़तों का हालचाल लिया.
अभी भी दहशत के शिकार
उधर गंगा-यमुना का पानी भले ही घट रहा हो लेकिन लोगों में दहशत बरकरार है। जिसकी वजह से राहत शिविरों में पीडि़तों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। फ्राइडे को यह संख्या बढ़कर तीन हजार पहुंच गई। इसके पहले दो बार घर जाकर वापस लौट चुके लोगों में फिलहाल घर लौटने की हिम्मत नहीं हो पा रही है। बघाड़ा के रहने वाले कुलदीप और शिवम ने बताया कि उनके घर के आसपास पानी कम हो चुका है लेकिन वह अभी कुछ दिन और राहत शिविर में रहेंगे। जब तक खतरा पूरी तरह टल नहीं जाता वह वापस नहीं जाएंगे। डीएम ने भी राहत शिविरों का दौरा करके लोगों को मिलने वाली सामग्री का निरीक्षण किया.
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