-सुप्रीम कोर्ट में माध्यमिक शिक्षक संघ के वकील ने रखा अपना पक्ष।

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क्कन्ञ्जहृन्: बिहार के लगभग साढ़े तीन लाख नियोजित टीचर्स को समान काम के बदले समान वेतन मामले पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को 17वें दिन न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे और उदय उमेश ललित की खंडपीठ में सुनवाई हुई। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से बुधवार की अधूरी बहस को आगे बढ़ाते हुए पूर्व सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक (प्लस टू) टीचर कोई भी पंचायत या निकाय के टीचर नहीं हैं, सभी नियमित और सरकारी शिक्षक हैं। उन्होंने नियोजन नियमावली के विभिन्न उपबंधों को पढ़कर कोर्ट को बताया कि नियोजन के लिए जो प्रक्रिया रही और चयन समिति गठित की गई उसकी अधिसूचना सरकार ने जारी की। चयन समिति के सदस्य खासकर डीईओ, कार्यपालक पदाधिकारी, बीडीओ आदि सरकारी अफसर हैं भले ही वह पंचायत, जिप, नगर निगम या नप की कमेटी में हों। नियोजन सभी सरकारी नियमों के तहत किए गए और नियोजन पत्र भी सरकारी अफसर के हस्ताक्षर से जारी हुआ। रंजीत नेकुमार पटना हाईकोर्ट के न्याय निर्णय के उन पृष्ठों को और तत्कालीन मुख्य न्यायधीश राजेन्द्र मेनन की टिप्पणी को पढ़ कर सुनाया जिसमें उन्होंने नियोजित टीचर्स को पुराने टीचर्स की तरह उनके दायित्वों व कार्यो को भी समान माना। अगली सुनवाई 5 सितंबर को होगी।