RANCHI:रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को अब प्राइवेट हास्पिटल की तर्ज पर सुविधाएं देने की तैयारी प्रबंधन ने कर ली है। ऐसे में हास्पिटल में आने वाले मरीजों को दवा से लेकर सर्जिकल आइटम्स भी हास्पिटल से ही देने का आदेश जारी किया गया है। वहीं किल्लत से निपटने के लिए स्टॉक का अपडेट एक महीने पहले देने को कहा गया है, ताकि दवाओं का आर्डर समय से दिया जा सके। गौरतलब हो कि रिम्स में आए दिन दवा तो कभी सर्जिकल आइटम्स मरीजों को नहीं मिल पाता। ऐसे में उन्हें बाहर से ही दवाएं खरीदनी पड़ती हैं, जिसमें उनकी जेब कटती है। बताते चलें कि रिम्स में हर वक्त 12-13 सौ मरीज एडमिट रहते हैं।

मरीजों को राहत, बचेंगे दवा के पैसे

हास्पिटल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को आधे से अधिक दवाइयां प्राइवेट मेडिकल स्टोर से खरीदनी होती है। वहीं कई लोगों की तो इलाज कराने में जमीनें और जानवर तक बिक जाते हैं। ऐसे मरीजों को रिम्स में अब राहत मिलेगी। हास्पिटल से ही सारी दवाएं और सर्जिकल आइटम्स भी उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे उनकी जेब पर बोझ नहीं बढ़ेगा और मरीज का बेहतर ढंग से इलाज करा सकेंगे।

डीएस ने स्टोर के स्टाफ को फटकारा

दवा और अन्य जरूरी सामानों का इंडेंट करने की अथॉरिटी डीएस और मेडिकल आफिसर स्टोर के पास है। ऐसे में डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ने स्टाफ से स्टोर के बारे में जानकारी मांगी। तो उसने कुछ बताने में असमर्थता जताई। साथ ही कहा कि कुछ दवाओं का स्टॉक है और कुछ दवाएं खत्म होने ही वाली हैं। इस पर उन्होंने स्टोर के स्टाफ को फटकार लगाई। साथ ही कहा कि दवा खत्म होने के बाद जानकारी दोगे तो मरीजों को दवा कैसे मिलेगी। उन्होंने आदेश दिया कि एक महीने पहले ही स्टॉक की जानकारी चाहिए। तभी आर्डर की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

दवाओं का सालाना बजट 13 करोड़

इलाज के लिए आने वाले मरीजों को हास्पिटल में जरूरी दवाओं से लेकर अन्य सामानों के लिए सरकार फंड देती है। ऐसे में हास्पिटल का सालाना बजट 300 करोड़ रुपए का रखा गया है। वहीं दवा के लिए बजट 13 करोड़ रुपए का है। इसमें मरीजों को सूई से लेकर जरूरी दवाएं भी दी जाती हैं। अब देखना यह होगा कि इसबार बजट के बाद मरीजों को सारी दवाएं मिल पाती हैं या नहीं।

वर्जन

स्टोर का स्टॉक हर दिन अपडेट करने को कहा गया है। स्टॉक खत्म होने से पहले बताने को कहा गया है, ताकि समय से दवा व अन्य चीजों का आर्डर दिया जा सके। अभी दवा खत्म होने के बाद जानकारी मिलती है। फिर मंगवाने में समय लग जाता है। मरीजों को किसी भी दवा के लिए भटकना न पड़े, यह हमारी प्राथमिकता है।

-डॉ। संजय कुमार, डिप्टी सुपरिंटेंडेंट, रिम्स