RANCHI: डिस्टेन्स एजुकेशन यानी दूरस्थ शिक्षा के जरिए प्राप्त की गई कोई भी पीएचडी अब रेगुलर नहीं मानी जाएगी। यूजीसी के सचिव प्रो जसपाल सन्धु ने देश भर के यूनिवर्सिटीज को एक सर्कुलर जारी कर पीएचडी के संदर्भ में यह स्पष्टीकरण दिया है। कहा है कि यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में शैक्षिक पदों पर नियुक्तियों हेतु न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा की गुणवत्ता प्रबंधन के लिए ख्0क्0 के चौथे संशोधन को क्क् जुलाई ख्0क्म् के राजपत्र में अधिसूचित किया गया है कि पीएचडी रेगुलर होनी चाहिए। क्7 मार्च को यूनिवर्सिटीज को भेजे गए पत्र से कहीं खुशी है, तो कहीं गम। क्योंकि जिन लोगों ने डिस्टेन्स से पीएचडी की है और यूजीसी नियम का पालन नहीं किया है, वे इस नियम के तहत बाहर हो जाएंगे।

क्या है यूजीसी के लेटर में

यूजीसी ने लिखा है कि कोई भी पीएचडी जो किसी विश्वविद्यालय में फुल टाइम या पार्ट टाइम की गई हो उसे रेगुलर डिग्री माना जाएगा। किंतु ऐसी डिग्री किसी यूनिवर्सिटी की ऑडिनेन्स और बायलाज के अनुसार हुई होनी चाहिए और यूनिवर्सिटी को डिग्री का अधिकार प्राप्त हो। इसके अलावा डिस्टेन्स एजुकेशन से प्राप्त की गई कोई भी पीएचडी रेगुलर नहीं मानी जाएगी।

स्कॉलर को दो माह में देना है डिटेल

पिछले सप्ताह ही पीएचडी शोधार्थियों के लिए यूजीसी ने एक अन्य सर्कुलर भी जारी किया था। इसके तहत शोधार्थियों को पीएचडी में प्रवेश होने पर दो माह में सारी जानकारी यूजीसी को देनी होगी। साथ ही एक रिपोर्ट में फैकल्टी, डिपार्टमेंट, सुपरवाइजर का नाम, पीएचडी स्कॉलर का आधार, पीएचडी रजिस्ट्रेशन नंबर, रजिस्ट्रेशन की तिथि, रिसर्च टॉपिक, पीएचडी पूरी करने की अवधि या कोई फेलोशिप मिल रही है या नहीं आदि की सूचना देना अनिवार्य कर दिया गया है।