फेसबुक पर लोगों के कमेंट्स ने पॉलिटिकल मुद्दा भी बना दिया

दिमाग पर जोर डालिए। जरा सोचिए। कब हुआ था इतना महंगा। कब आप किलो सोचकर गए हों और पाव भर खरीदने पर मजबूर हुए हो गए। मत सोचिए। कभी ऐसा नहीं हुआ। आज से पहले कभी भी प्याज 75 रुपए पर केजी नहीं बिका। कंट्री के कई दूसरी सिटीज में तो प्याज शतकवीर भी बन चुका है। कॉमन मैन के किचेन का बजट प्याज को सेंटर में रखकर तय हो रहा है और टीवी चैनल्स पर पॉलिटिशियंस के लिए यह मैटर ऑफ डिबेट है। आजकल प्याज सोशल साइट्स पर भी काफी हिट है। फेसबुक पर लोगों के कमेंट्स ने प्याज को खाने की थाली से निकालकर एक पॉलिटिकल मुद्दा भी बना दिया है।

चिकेन दो प्याजा नहीं, ‘चिकेन बिन प्याजा’ कहिए जनाब !
प्याज के साथ तो आपने चिकेन के कई आइटम्स बनाए होंगे। रेस्त्रां में भी आपका फेवरेट डिश रहा होगा। पर प्याज जब आपके वॉलेट को खाली करने लगे तो प्याज के चिकेन के आइटम बना सकते हैं और उसका नाम चिकेन बिन प्याजा रख सकते हैं। इस तरह के एडवाइस आपको फ्री में फेसबुक जैसे सोशल साइट्स पर मिल सकते हैं। इसके अलावा डिफरेंट पोस्ट पर ओपिनियन की जगह ऑनियन देने की एडवाइस भी काफी हिट है।

कितना चाहिए, 200 ग्राम या
नितेश ने पोस्ट किया है कि सŽजी वाले प्याज का प्राइस पूछते ही 200-250 ग्राम पर आ जाते हैं। कस्टमर से पहले वही बोल देते हैं कि दो सौ ग्राम चाहिए या दो सौ पचास ग्राम। निहारिका ने पोस्ट किया कि घर में बनने वाले सलाद में प्याज की मात्रा लगातार कम होती जा रही है। ऐस बहुत सारे कमेंट एफबी पर हैं।

प्याज का इलेक्शन कनेक्शन
नेक्स्ट इयर जेनरल इलेक्शन होने वाले हैं। ऐसे में प्याज न सिर्फ खाने का एक आइटम रहा, बल्कि एक हिट पॉलिटिकल मुद्दा बना गया है। फेसबुक पर प्याज की आसमान छूती कीमत को जेनरल इलेक्शन के अलावा कुछ स्टेट एसेंबली के इलेक्शन से भी जोडक़र देखा जा रहा है। हर दिन प्याज का इलेक्शन कनेक्शन फेसबुक पर डिफरेंट टाइप्स के कमेंट के रूप में सामने आ ही जाता है। सिटी के अनुराग ने लिखा है कि प्याज कटने से पहले ही आंखों में आंसू ला दे रहा है। इसके आगे वे लिखते हैं कि इन आंसुओं के लिए कौन जिम्मेवार है इसका जवाब देना होगा।

इसका जवाब पॉलिटिसियंस को देना होगा.
फेसबुक पर प्याज को लेकर कई पोस्ट अवेलबल हैं.  आइए जानते हैं कि किस तरह पोस्ट एफबी यूजर्स ने वहां किए हैं
इस बार के इलेक्शन में प्याज ही जीत-हार तय करेगा।
ओपिनियन नहीं ऑनियन चाहिए।
चिकेन दो प्याजा नहीं अब तो चिकेन बिन प्याजा वाली स्थिति है।
मैं आपको वोट दूंगा, आप मुझे प्याज दीजिए।
इलेक्शन के समय शुरू हुआ प्याज पॉलिटिक्स।
मुझे तो सलाद विद प्याज चाहिए।
कस्टमर से पहले दुकानदार ही प्याज के लिए किलो की जगह ग्राम की बात करने लगे हैं।
प्याज तो कटने से पहले ही रुलाने लगा है।
कटेगा प्याज निकलेगा लीडर। एफबी पर लोग अपने दिल की बात शेयर करते हैं। प्याज पर एफबी यूजर्स के पोस्ट को देखकर तो यही लगता है कि इसने कॉमन मैन के पास एक ऐसा सवाल दे दिया है जिसका जवाब पॉलिटिसियंस के पास नहीं।
- नितेश, स्टूडेंट

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