बिना पïट्टी जाओ घर पर

पहले के समय में आंख की सर्जरी कराने के लिए लोग सालों इंतजार करते थे। मोतियाबिंद होने के बाद भी सालों इंतजार किया जाता था कि पहले घर-गृहस्थी के जरूरी काम निपटा दिए जाएं। फिर साल-छह महीने की छुïट्टी लेकर आंख का ऑपरेशन करा लेंगे.उसके बाद ऑपरेशन होते थे और लोग महीनों पïट्टी बांध कर घर पर रहते थे। धूल से बचाव, खाने-पीने में बचाव आदि भी बहुत होता था। कई तरह के प्रीकॉशंस होते थे। लेकिन धीरे-धीरे तकनीक में विकास हुआ और सर्जरी की समयावधि काफी कम हो गई। अब जो तकनीक आई है, उसमें सर्जरी के बाद पेशेंट को पïट्टी बांधने की भी जरूरत नहीं है।

पांच से तीन मिनट हुआ समय

पिछले काफी समय से मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए लोगों को कई सुविधाएं मिलने लगी हैं। अब भी बिना टांके के ऑपरेशन हो रहे थे। इस पूरी प्रक्रिया में पांच मिनट का ही समय लगता था। लेकिन अब जो नई मशीन आई है, उसने ऑपरेशन की समय सीमा कम कर दी है। अब केवल तीन मिनट में कैटरेक्ट की सर्जरी संभव हो गई है। इस सर्जरी के बाद आंख का विजन वापस आ जाता है। इसे कैटरेक्ट सर्जरी विद सेफो कहा जाता है।

बुढ़ापे में भी जवान आंखें

अब तक उम्र बढऩे के साथ आंखों की रोशनी कम होना एक सामान्य बात मानी जाती थी। मोतियाबिंद, रोशनी कम आदि जैसी कई समस्याएं सामने आती थीं। लेकिन अब बुढ़ापे में भी जवानों जैसी आंखों की रोशनी मिल सकेगी।

फेम टू सेकेंड मशीन करेगी करामात

द आई फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ। डी राममूर्ति ने बताया कि इस समय भी जो सर्जरी हो रही हैं, वो नई तकनीक फेम टू सेकेंड लेजन मशीन से की जा रही हैं। इससे सर्जरी की गुणवत्ता बेहतर हुई है। हालांकि, इससे भी बेहतर तकनीक पर रिसर्च लगभग पूरा हो चुका है। इससे ऑपरेशन के बाद 80 साल के उम्र तक के लोगों की देखने की क्षमता 20 साल के युवक जैसी होगी।

कैसे करती है यह मशीन काम

सेमिनार में डॉ। राममूर्ति ने कहा कि उम्र बढऩे के साथ ही लोगों की आंखों की रोशनी में कमी आने लगती है। इसके लिए क्वालिटी ऑफ विजन बहुत जरूरी है। फेम टू सेकेंड लेजर द्वारा आंखों की हर कमी का आकलन कर उसका समाधान खोजा जा सकता है।

पूरे दिन चली चर्चाएं  

होटल जेपी पैलेस में चल रहे कॉन्फ्रेंस में चार हॉलों में अलग-अलग शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। इसमें विदेशों के लगभग 35 विश्व विख्यात नेत्र चिकित्सक और भारत के छह हजार चिकित्सकों ने भाग लिया। सेमिनार में आंखों की आधुनिक चिकित्सा प्रणाली पर चर्चा हुई।

लगाई गई है प्रदर्शनी भी

सेमिनार में विभिन्न कंपनियों ने नई तकनीक से ऑपरेशन करने वाली मशीनों की प्रदर्शनी लगाई। कार्यक्रम में करीब पांच हजार नेत्र चिकित्सक भाग ले रहे हैं।