डाकघर के बैंकिंग कस्टमरों के लिए डेबिट कार्ड

केंद्र सरकार ने सरकारी बचत बैंक अधिनियम 1875 के नियमों में बदलाव करके डाकघरों को सेविंग अकाउंट चलाने वाले ग्राहकों को डेबिट कार्ड और एटीएम लगाने की सुविधा दी है. हालांकि ये सुविधाएं फिलहाल केवल उन्हीं डाकघरों के बचत खाताधारकों को मिल पाएगी जो कोर बैंकिंग सॉल्यूशन पर संचालित हो रहे हैं. वित्त मंत्रालय ने इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी है. इसके मुताबिक कोर बैंकिंग साल्यूशन प्लेटफार्म पर ऑपरेट होने वाले सभी डाकघरों में ग्राहक खातों का संचालन इलेक्ट्रानिक तरीके से कर सकेंगे. जिन ग्राहकों को डेबिट कार्ड जारी होगा वे उसका इस्तेमाल एटीएम से नकदी निकालने के लिए भी कर सकेंगे. अब सीबीएस पर चलने वाले डाकघर खुद भी एटीएम मशीन लगा सकेंगे.

स्मार्ट बनेंगे पोस्ट ऑफिस

देश में मौजूद 1,55,000 डाकघरों में से 676 डाकघर फिलहाल कोर बैंकिंग सॉल्यूशन प्लेटफार्म पर संचालित हो रहे हैं. गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों में डाकघरों की संख्या 1,33,000 है. केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के बजट में भी डाकघरों के आधुनिकीकरण के लिए 4000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. इसके जरिये साल 2015 तक 2800 डाकघर एटीएम खोलने का लक्ष्य है. फिलहाल चार महानगरों दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और मुंबई में पायलट प्रोजेक्ट के तहत डाकघर एटीएम काम कर रहे हैं.

डाकघरों में 31 करोड़ बचत खाते

वर्ष 2013 में जब नए बैंकिंग लाइसेंस देने की तैयारियां चल रही थीं तब संचार मंत्रालय ने भारतीय डाक को बैंक में बदलने का प्रस्ताव तैयार किया था. देशभर के डाकघरों में करीब 31 करोड़ बचत खाते चलाए जा रहे हैं. अगर डाकघरों को बैंक में तक्दील कर दिया जाता है तो यह पहले दिन ही दुनिया में सबसे ज्यादा शाखा वाला बैंक बन जाएगा. जानकारों का मानना है कि अगर डाकघरों को बैंक में बदला गया और बचत खाता रखने वाले ग्राहकों को सीधे बैंक ग्राहक में बदल दिया जाए तो सरकार को जन धन योजना चलाकर नए बैंक खाते खोलने की भी जरूरत नहीं होगी.

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