आरटीओ ऑफिस में फैले दलालों के मकड़जाल का मिटाने की कवायद
- प्रदेश के सभी आरटीओ ऑफिस में लगेंगे सीसीटीवी
- परिवहन विभाग में बने कंट्रोल रूम से होगी मॉनीटरिंग
LUCKNOW : राजधानी समेत प्रदेश के अन्य जिलों में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नाम पर चल रही दलालों की दुकानें अब बंद होंगी। इसके लिए परिवहन विभाग ने प्रदेश के सभी आरटीओ ऑफिस में सीसीटीवी कैमरे लगाने का ऐलान किया है। यही नहीं परिवहन निगम का कंट्रोल रूम इन पर निगाह रखेगा।
चल रहा मोटी कमाई का खेल
प्रदेश के सभी आरटीओ ऑफिस में लाइसेंस के नाम पर दलाल मोटी कमाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं, दलालों के खेल में आरटीओ ऑफिस के बाबुओं से लेकर विभागीय अधिकारी तक शामिल हैं। प्रदेश में दलालों पर रोक लगाने के लिए शासन के उच्च अधिकारियों ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसी वजह से कुछ दिन पहले प्रदेश में मौजूद आरटीओ ऑफिस के पास दलालों को पकड़ने के लिए अभियान भी चलाया गया था। अभियान के साथ ही अब सभी आरटीओ ऑफिस पर निगरानी रखे जाने की तैयारी की गई है।
सभी जिलों से शिकायतें
प्रदेश के विभिन्न जिलों में मौजूद आरटीओ कार्यालय से लगातार दलालों की मनमानी की शिकायतें मिल रही हैं। जो लाइसेंस लोगों को 300 रुपए में मिलना चाहिए, उसके लिए आवेदकों से मोटी रकम वसूली जा रही है। जिन जिलों में लाइसेंस के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई है, वहां से भी शिकायतें सामने आ रही हैं। ऐसे में प्रदेश के सभी आरटीओ ऑफिस में सीसीटीवी लगाए जाने का निर्णय लिया गया है।
तब नहीं निकला था कोई नतीजा
इससे पहले दलालों में अंकुश लगाने के लिए राजधानी के आरटीओ ऑफिस में सीसीटीवी कैमरे भी लगे गए थे, इनकी निगरानी करने की जिम्मेदारी एआरटीओ प्रशासन को दी गई थी। मगर एक भी दलाल इन कैमरों के माध्यम से पकड़ा नहीं गया। वहां के अधिकारी किसी भी दलाल के खिलाफ एक्शन नहीं लेना चाहते हैं। इसी वजह से अब इनकी मॉनीटरिंग मुख्यालय से होगी, जिससे दलालों पर लगाम लगाई जा सके। परिवहन विभाग के नए भवन में बने मीटिंग हॉल में कंट्रोल रूम बनेगा और यहीं पर सभी टीवी लगाए जाएंगे।
राजधानी में
350 परमानेंट लाइसेंस एक दिन में
300 से अधिक आवेदन लर्निग के हो रहे हैं
290 लर्निग लाइसेंस जारी होते हैं
275 आवेदन लर्निग के रोजाना
- बढ़ गई दलालों की पहुंच
दलालों को लाइसेंस से हटाने के लिए ऑनलाइन आवेदन और आनॅलाइन एग्जाम की व्यवस्था शुरू की। लेकिन, परिवहन निगम की यह दवाई भी आरटीओ ऑफिस के दलालों को कुछ नहीं बिगाड़ सकी। अलबत्ता दलालों ने ही अपनी पहुंच बढ़ा दी है। अब तक जो दलाल आरटीओ भवन के बाहर रह कर काम कराते थे और आवदेकों को रिटेन टेस्ट पास कराते थे, वे दलाल अब सीधे उस कमरे तक पहुंच रहे हैं जहां पर आनलाइन टेस्ट होता है। ऑन लाइन टेस्ट कम्प्यूटर पर लिया जाता है। इस टेस्ट में 15 क्वेश्चन होते हैं, जिसके लिए 15 मिनट का समय दिया जाता है। पास होने के लिए 15 में नौ क्वेश्चन के आंसर सही होने चाहिए। जिस हाल में एग्जाम होता है, वहां एक बार में 15 लोगों के बैठने की सुविधा होती है। कम्प्यूटर के सामने बैठते तो आवेदक है, लेकिन क्वेश्चन का आंसर दलाल ही देते हैं। जिस हाल में एग्जाम होता है, दलाल वहां भी पहुंच जाते हैं।
एक दिन में जहां दो पहिया और चार पहिया के 300 लाइसेंस रोजाना जारी किए जा रहे हैं। वहीं डीएल के लिए होने वाली टेस्ट ड्राइव में दो पहिया और चार पहिया वाहनों को मिलाकर लगभग 75 गाडि़यां ही पहुंचती हैं। बाकी के लाइसेंस किस तरह से जारी किए जा रहे हैं, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। ऐसे में लाइसेंस लेकर रोड पर निकलने वाले दो पहिया और चार पहिया वाहन चालक कितने सुरक्षित हैं, इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है।
अप्रैल
आरटीओ से परमानेंट लाइसेंस-6345
एआरटीओ महानगर- 2219
मई
आरटीओ से परमानेंट लाइसेंस-7488
एआरआरटी महानगर ऑफिस-2538
जून
आरटीओ से परमानेंट लाइसेंस-7920
एआरटीओ महानगर- 2717
बाक्स
लगे हैं पांच कैमरे
ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ ऑफिस में कैमरे लगे हैं। इन सभी कैमरों की मॉनीटरिंग के लिए टीवी एआरटीओ प्रशासन के कमरे में लगाया गया है। दलालों को रोकने के लिए पिछले साल यह कैमरे लगाए गए थे। लेकिन आज तक एक भी दलाद यहां के अधिकारियों को सीसीटीवी में नजर नहीं आया। जबकि यहां पर लाइसेंस बनवाने का काम ही दलाल नहीं कर रहे हैं बल्कि यहां बने कमरों में रखी फाइलों के बारे में बेहतर जानकारी भी कोई दलाल ही दे सकता है।
दलालों पर रोक लगाने के लिए यह कदम उठाया गया है। यहां से कुछ भी गड़बड़ दिखाई देने पर तुरंत ही संबंधित क्षेत्र के आरटीओ और एआरटीओ को सूचना दी जाएगी और उनसे स्पष्टीकरण भी मांगा जाएगा।
- के। रविंद्र नायक, परिवहन आयुक्त