-प्राइवेट स्कूलों की फीस पर नियंत्रण के लिए भी विधेयक

PATNA : सोमवार को विपक्षी हंगामे के बीच विधानसभा में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए 10 परसेंट आरक्षण संबंधी विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया। बाद में विधान परिषद ने भी इस विधेयक को पारित कर दिया। विधानसभा में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो के लिए आरक्षण विधेयक 2019 को सीएम नीतीश कुमार ने सदन में पेश किया। सीएम ने कहा कि सदन से यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित होना चाहिए। राजद के सदस्यों की ओर इशारा करते हुए सीएम ने कहा कि इनमें आधे से अधिक लोग विधेयक के पक्ष में हैं लेकिन रांची से आदेश आया है इसलिए विरोध कर रहे हैं।

जनता माफ नहीं करेगी

सीएम ने कहा मुझे इनके विरोध की चिंता नहीं हैं। इस विधेयक का विरोध करने वाले पछताएंगे। जनता उन्हें माफ नहीं करेगी। उन्होंने कहा यह ऐतिहासिक विधेयक है इसलिए सदन इसे सर्वसम्मति से पारित करे। विस से पारित होने के बाद यह विधेयक विधान परिषद से भी पारित हो गया।

छह अन्य विधेयक भी पारित

विधानमंडल के दोनों सदनों से सोमवार को 6 अन्य विधेयक भी पारित हो गए। इसमें बिहार निजी विद्यालय शुल्क विनियमन विधेयक 2019, बिहार अधिवक्ता कल्याण निधि संशोधन विधेयक 2019, बिहार भूमि सुधार अधिकतम सीमा निर्धारण तथा अधिशेष भूमि अर्जन संशोधन विधेयक 2019, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान संशोधन विधेयक 2019, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति संशोधन विधेयक 2019 व बिहार प्रारंभिक विद्यालय शिक्षा समिति निरसन विधेयक भी ध्वनिमत से पारित हुआ।

ये बच्चे सेवा कैसे कर पाएंगे

सीएम ने कहा कि निजी विद्यालयों के फीस पर नियंत्रण जरूरी है। इन स्कूलों में कैसे बच्चे तैयार हो रहे हैं इसे समझना होगा। बच्चे एसी बसों में जाते हैं। क्लास रूम भी एसी रहता है। ऐसे स्कूल से पढ़कर आइएएस और आइपीएस के लिए अगर यह बच्चे चुने जाते हैं तो यह सेवा कैसे कर पाएंगे।

राजद-कांग्रेस हुआ बेनकाब

दूसरी ओर डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि विधानसभा में सवर्ण आरक्षण बिल पर राजद-कांग्रेस का चेहरा बेनकाब हो गया है। संसद में जहां राजद ने बिल पर हुए मतदान का विरोध किया वहीं विधानसभा में वेल में जाकर शोर मचा नारेबाजी कर विरोध जताया जबकि संसद में अनमने ढंग से सवर्ण आरक्षण बिल का समर्थन करने वाली कांग्रेस बिहार विधानसभा में संशोधन पेश कर अड़ंगा डालने की कोशिश कर रही थी।