दिल्ली में काम करता है एनजीओ
रेसक्यू फाउंडेशन की प्रोबेशन ऑफिसर हेमलता कुमारी ने बताया कि जून के फस्र्ट वीक में उन्हें सूचना मिली थी कि नेपाल से कुछ टीन एजर गल्र्स को देह व्यापार के धंधे में उतारने के लिए यहां लाया गया है। इस सूचना को कन्फर्म करने के लिए संस्था की टीम को लगाया गया। इस दौरान सूचना मिली कि इन्हें इलाहाबाद के रेड लाइट एरिया में धंधे पर लगाया गया है। इसके बाद जून के सेकेंड वीक में एनजीओ की ओर से एक टीम आई और लड़कियों के बारे में पूरी जानकारी कलेक्ट की। खबर की पुष्टि होने के बाद फ्राइडे को हेमलता अपनी टीम के साथ खुद रेड लाइट एरिया में पहुंची और वहां की स्थिति से रूबरू हुईं. 

मीना है संचालिका 
हेमलता ने बताया कि रेड लाइट की हकीकत जानने के बाद वे एसपी क्राइम से मिलीं और तथ्यों के साथ पूरी जानकारी उनसे शेयर की। इसके बाद एसपी क्राइम ने एरिया में रेड डालने का डिसीजन लिया और पुलिस बल मुहैया कराया। इसके बाद सैटरडे इवीनिंग कोतवाली और महिला थाने की फोर्स के साथ रेड लाइट एरिया में दबिश दी गई। वहां पर मीना चौधरी के कोठे से मीना चौधरी को अरेस्ट कर  लिया गया। इसके बाद कोठे पर पहुंचे छह कस्टमर भी पकड़े गए। इसमें गाजियाबाद जिले में पोस्टेड एक सीजेएम का प्राइवेट ड्राइवर भी शामिल है। इन सभी को लड़कियों के साथ विभिन्न कमरों से पकड़ा गया। इसके बाद पुलिस ने पूरे घर की तलाशी ली तो कुल 12 लड़कियां वहां मौजूद मिलीं। पूछताछ में आठ ने बताया कि वह नेपाल से हैं और चार ने बांग्लादेश से यहां आने की पुष्टि की.

एक दिन की कमाई 700 रुपए
मीना ने मीडिया को बताया कि वह  13 साल से इस धंधे में है। डेली की उसकी इनकम 700 रुपए है। उसने मीरगंज में रेंट पर रूम लिया है। एक रूम का डेली वह 50 रुपए किराया देती है। उसके साथ रहने वाली गल्र्स के बारे में मीना ने बताने से इंकार कर दिया। वहीं दूसरी ओर प्रोबेशन ऑफिसर हेमलता कुमारी ने बताया कि इन गल्र्स का मेडिकल चेकअप कराने के बाद चाइल्ड वेफफेयर कमेटी के सामने पेश किया जाएगा। जो गल्र्स अपने घर जाना चाहती हैं उन्हें वहां भेज दिया जाएगा अन्यथा की स्थिति में उन्हें नारी निकेतन में शरण मिलेगी. 

टीन एजर्स की है ज्यादा डिमांड
रेसक्यू फाउंडेशन की प्रोजेक्ट को आर्डिनेटर जेआर सरन ने बताया कि टीन एजर गल्र्स की डिमांड ज्यादा होती है। इसलिए बाहर से टीन एजर की दलाल सप्लाई करते हैं। गल्र्स एक बार इस दलदल में फंस जाने के बाद निकल नहीं पातीं। सेक्स रैकेट संचालित करने वाली इन गल्र्स का माइंड वाश इतना ज्यादा कर देते हैं कि पकड़े जाने के बाद वे आसानी से दलालों के बारे में जानकारी नहीं देतीं। मेडिकल चेकअप के बाद उनकी काउंसलिंग की जाएगी जिसके बाद कुछ हकीकत की जानकारी मिलेगी।  

वेरिफिकेशन का क्या हुआ?
मीरगंज में किशोर उम्र की लड़कियों को धंधे में उतारा जाना कोई नई बात नहीं है। पिछले दो सालों के दौरान तीन बार ऐसा ऑपरेशन चलाकर पुलिस और एनजीओ ने लड़कियों को मुक्त कराया है। लड़कियां मुक्त हो गईं। यह ठीक है लेकिन बड़ा सवाल पुलिस पर है। आखिर ऐसा क्यों है कि कोई एनजीओ दूसरे प्रांत से आकर यहां जानकारी कलेक्ट करता है। यह जानकारी वह पुलिस ऑफिसर्स से शेयर करता है। इसके बाद छापा मारा जाता है और बरामदगी होती है। कोतवाली पुलिस आखिर कर क्या रही है? इस एरिया का वेरीफिकेशन आखिर क्यों नहीं कराया जाता? वेरीफिकेशन होता तो यह कामयाबी इलाहाबाद पुलिस के खाते में होती. 

दिल्ली में काम करता है एनजीओ

रेसक्यू फाउंडेशन की प्रोबेशन ऑफिसर हेमलता कुमारी ने बताया कि जून के फस्र्ट वीक में उन्हें सूचना मिली थी कि नेपाल से कुछ टीन एजर गल्र्स को देह व्यापार के धंधे में उतारने के लिए यहां लाया गया है। इस सूचना को कन्फर्म करने के लिए संस्था की टीम को लगाया गया। इस दौरान सूचना मिली कि इन्हें इलाहाबाद के रेड लाइट एरिया में धंधे पर लगाया गया है। इसके बाद जून के सेकेंड वीक में एनजीओ की ओर से एक टीम आई और लड़कियों के बारे में पूरी जानकारी कलेक्ट की। खबर की पुष्टि होने के बाद फ्राइडे को हेमलता अपनी टीम के साथ खुद रेड लाइट एरिया में पहुंची और वहां की स्थिति से रूबरू हुईं. 

मीना है संचालिका 

हेमलता ने बताया कि रेड लाइट की हकीकत जानने के बाद वे एसपी क्राइम से मिलीं और तथ्यों के साथ पूरी जानकारी उनसे शेयर की। इसके बाद एसपी क्राइम ने एरिया में रेड डालने का डिसीजन लिया और पुलिस बल मुहैया कराया। इसके बाद सैटरडे इवीनिंग कोतवाली और महिला थाने की फोर्स के साथ रेड लाइट एरिया में दबिश दी गई। वहां पर मीना चौधरी के कोठे से मीना चौधरी को अरेस्ट कर  लिया गया। इसके बाद कोठे पर पहुंचे छह कस्टमर भी पकड़े गए। इसमें गाजियाबाद जिले में पोस्टेड एक सीजेएम का प्राइवेट ड्राइवर भी शामिल है। इन सभी को लड़कियों के साथ विभिन्न कमरों से पकड़ा गया। इसके बाद पुलिस ने पूरे घर की तलाशी ली तो कुल 12 लड़कियां वहां मौजूद मिलीं। पूछताछ में आठ ने बताया कि वह नेपाल से हैं और चार ने बांग्लादेश से यहां आने की पुष्टि की।

एक दिन की कमाई 700 रुपए

मीना ने मीडिया को बताया कि वह  13 साल से इस धंधे में है। डेली की उसकी इनकम 700 रुपए है। उसने मीरगंज में रेंट पर रूम लिया है। एक रूम का डेली वह 50 रुपए किराया देती है। उसके साथ रहने वाली गल्र्स के बारे में मीना ने बताने से इंकार कर दिया। वहीं दूसरी ओर प्रोबेशन ऑफिसर हेमलता कुमारी ने बताया कि इन गल्र्स का मेडिकल चेकअप कराने के बाद चाइल्ड वेफफेयर कमेटी के सामने पेश किया जाएगा। जो गल्र्स अपने घर जाना चाहती हैं उन्हें वहां भेज दिया जाएगा अन्यथा की स्थिति में उन्हें नारी निकेतन में शरण मिलेगी. 

टीन एजर्स की है ज्यादा डिमांड

रेसक्यू फाउंडेशन की प्रोजेक्ट को आर्डिनेटर जेआर सरन ने बताया कि टीन एजर गल्र्स की डिमांड ज्यादा होती है। इसलिए बाहर से टीन एजर की दलाल सप्लाई करते हैं। गल्र्स एक बार इस दलदल में फंस जाने के बाद निकल नहीं पातीं। सेक्स रैकेट संचालित करने वाली इन गल्र्स का माइंड वाश इतना ज्यादा कर देते हैं कि पकड़े जाने के बाद वे आसानी से दलालों के बारे में जानकारी नहीं देतीं। मेडिकल चेकअप के बाद उनकी काउंसलिंग की जाएगी जिसके बाद कुछ हकीकत की जानकारी मिलेगी।  

वेरिफिकेशन का क्या हुआ?

मीरगंज में किशोर उम्र की लड़कियों को धंधे में उतारा जाना कोई नई बात नहीं है। पिछले दो सालों के दौरान तीन बार ऐसा ऑपरेशन चलाकर पुलिस और एनजीओ ने लड़कियों को मुक्त कराया है। लड़कियां मुक्त हो गईं। यह ठीक है लेकिन बड़ा सवाल पुलिस पर है। आखिर ऐसा क्यों है कि कोई एनजीओ दूसरे प्रांत से आकर यहां जानकारी कलेक्ट करता है। यह जानकारी वह पुलिस ऑफिसर्स से शेयर करता है। इसके बाद छापा मारा जाता है और बरामदगी होती है। कोतवाली पुलिस आखिर कर क्या रही है? इस एरिया का वेरीफिकेशन आखिर क्यों नहीं कराया जाता? वेरीफिकेशन होता तो यह कामयाबी इलाहाबाद पुलिस के खाते में होती.