-यूजीसी ने पीएचडी 2018 का नया रेग्यूलेशन किया तैयार

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क्कन्ञ्जहृन्: पीएचडी करने वालों के लिए यूजीसी का नया रेग्यूलेशन 2018 कड़ा संदेश लेकर आया है। पीएचडी करने के दौरान रेफरेंस से तय सीमा से अधिक समानता या नकल के मामले में संबंधित टीचर्स बर्खास्त हो सकते हैं। जबकि रिसर्च करने वालों का रजिस्ट्रेशन ही रद हो सकता है। नकल पर नकेल कसने की तैयारी के मकसद से यह फैसला किया गया है। अगस्त, 2018 से लागू यह रेग्यूलेशन वैसे टीचर्स और रिसर्च करने वालों के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है जो रिसर्च के नाम पर कागजों का ढेर जमा कर रहे हैं।

35 हजार पीएचडी होल्डर बेकार

डॉ शिव सागर ने बताया कि बिहार में 35 हजार पीएचडी होल्डर बेकार हैं। यह आंकड़ा बेहद भयावह है क्योंकि पीएचडी का अर्थ रिसर्च से है, डेवलपमेंट से है। यदि ऐसा है तो राज्य का विकास भगवान भरोसे ही माना जाना चाहिए।

77 शब्द से अधिक नहीं दे सकते हैं रिफरेंस

बताया गया कि, कॉपीराइट एक्ट भी पीएचडी से जुड़ा महत्वपूर्ण विषय है। इसमें एक नियम है कि यदि कोई शोधार्थी किसी का कोई रिफरेंस ले रहा है तो उसमें लगातार 77 श?द से अधिक का समावेश नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन कई कैंडिडेट्स को ही इसके बारे में जानकारी ही नहीं है। यदि किसी को है तो वह इसे नजरअंदाज किया जाता है जिस पर अब सख्ती होगी।

60 प्रतिशत थीसिस भाड़े पर

पटना यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने नाम न लिखे जाने की शर्त पर यह खुलासा किया। उन्होंने बताया कि यदि पीएचडी करने वाले व्यक्ति के स्थान पर कोई पैसे लेकर थीसिस लिख रहा है, तो इसका साफ अर्थ है कि इससे उसकी मेधा से कोई सरोकार नहीं होगा। क्योंकि यह उसकी उपज ही नहीं है।

अधिकतर थीसिस में समझ से बाहर है अंग्रेजी

पटना कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के हेड डॉ शिव सागर ने पीएचडी की व्यवहारिक दोष पर कहा कि 70 प्रतिशत तक थीसिस अंग्रेजी में लिखा जा रहा है। इसकी अंग्रेजी ऐसी है जो कि समझ से परे है। यह विडंबना की बात है। एक बात यह भी है कि यदि पीएचडी के थीसिस के बारे में कैंडिडेट से ही सवाल करें तो वह थीसिस के टाइटल के बारे में सही से नहीं बता पाएगा। यदि पटना यूनिवर्सिटी को छोड़ दें तो बिहार के अन्य विश्वविद्यालयों में मजाक हो रहा है।

बिहार की स्थिति बहुत ही खराब है पीएचडी मामले में। समस्या यह है कि रिसर्चर डिग्री लेने की लालसा तक सीमित है। इसलिए इसमें स्टैंडर्ड और रेग्यूलेशन की बात नहीं है।

-डॉ आरएन शर्मा, समाज शास्त्र विभाग पटना कॉलेज

पीएचडी में यूजीसी के नए रेग्यूलेशन आने से कोई बड़ा बदलाव मान लेना कठिन है। क्योंकि कड़े नियम पहले से हैं। उनका कार्यान्वयन ही समय पर हो जाए तो राहत होगी।

-डॉ शिव सागर, हेड मनोविज्ञान विभाग, पटना कॉलेज