- App के जरिए IG करेंगे UP 100 की निगरानी

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GORAKHPUR:

लोकल लेवल पर निगरानी न होने से बेलगाम होती जा रही यूपी-100 को और चुस्त-दुरुस्त किया जा रहा है। पीआरवी को पहले से ज्यादा जिम्मेदार और सटीक बनाने के लिए इसकी लाइव निगरानी करने की तैयारी हो चुकी है। अभी तक पीआरवी की मॉनिटरिंग लखनऊ के सेंट्रल कंट्रोल रूम से होती रही है। लेकिन अब पुलिस अधिकारी एक खास एप के जरिए यूपी 100 की हर गतिविधि की निगरानी कर सकेंगे।

केस मॉनीटर से रखी जाएगी नजर

गौरतलब है कि यूपी-100 योजना प्रदेश में कानून-व्यवस्था को बेहतर करने के लिए बनाई गई थी। इसका रिस्पांस भी काफी अच्छा रहा। लेकिन कई बार ऐसी शिकायतें सामने आती हैं कि पीआरवी ने ठीक से काम नहीं किया। सूचना देने पर मौके पर पहुंचने में लापरवाही की गई। इन शिकायतों को मद्देनजर रखते हुए पीआरवी की निगरानी के लिए केस मॉनीटर एप तैयार किया गया है। इस एप से पीआरवी को जोड़ा गया है। पुलिस अधिकारी इस एप के जरिए यूपी 100 की लोकेशन ट्रेस करके दिशा-निर्देश भी दे सकेंगे।

इस तरह से काम करेगा एप

- केस मानीटर एप पर पीआरवी के संबंध में पूरी जानकारी रहेगी।

- पीआरवी के इवेंट पर निकलने, वहां की गतिविधियों के शामिल होने की सूचनाओं के आदान प्रदान में आसानी होगी।

- सूचना देने के बाद पीआरवी के मूवमेंट हर पल की जानकारी मिल सकेगी। इवेंट के लिए निकली पीआरवी की लोकेशन क्या है, इसको लाइव ट्रैक किया जा सकेगा

- सूचनाओं के संपादन की सुविधा होने से जिम्मेदार अफसर कार्रवाई के लिए आनलाइन गाइड लाइन जारी कर सकेंगे।

यह होगा फायदा

-पीआरवी के एमडीटी में सूचना अपडेट करने के दौरान उसमें सुधार की गुंजाइश रहेगी।

-अपनी सूचनाओं को पुलिस अधिकारी अपडेट करके उसके साथ जोड़ सकेंगे।

-मान लीजिए किसी जगह पर दो लोगों के हत्या की सूचना मिलती है। पीआरवी वहां के लिए निकलती है। लेकिन इसी दरम्यान लोकल अधिकारी को पता चलता है कि वहां कोई हत्या नहीं हुई है। ऐसे में वह पीआरवी को अपडेट करके उसे वापस बुला सकता है। इससे फोर्स को बेवजह परेशान नहीं होना पडे़गा।

अभी यह हो रही थीं दिक्कतें

-सूचना देने पर पीआरवी के समय से न पहुंचने की शिकायतें सामने आ रही थीं।

-दूसरे इवेंट में बिजी होने का हवाला देकर पीआरवी कर्मचारी अपने वाहन के मोबाइल डेटा टर्मिनल को अपडेट नहीं करते हैं। पहली सूचना के पूर्ण हुए बिना उनको दूसरा काम नहीं दिया जा सकता है।

-निर्धारित लोकेशन के बजाय अन्य जगहों पर पीआरवी खड़ी करने की शिकायतें भी सामने आ चुकी हैं।

-फिजिकल वेरीफिकेशन के बिना पीआरवी की मौजूदगी सही जानकारी नहीं मिल पाती थी।

फैक्ट फाइल

46 बेस स्टेशन हैं गोरखपुर जिले में पीआरवी के।

12 सिटी और 34 बेस स्टेशन देहात में बनाए गए हैं।

49 कुल वाहन शहर और देहात क्षेत्र के लिए उपलब्ध कराए गए हैं।

332 कुल पुलिस कर्मचारियों की ड्यूटी लगी है इन इन वाहनों पर।

15 से 20 मिनट में पुलिस के पहुंचने का निर्देश।

हर जिले में नोडल अफसर तैनात किए गए हैं।

जोन स्तर पर स्टाफ आफिसर की तैनाती की गई है।

वर्जन

अभी तक कंट्रोल रूम के मानीटर में यह सुविधा उपलब्ध थी। इवेंट की सूचनाएं मोबाइल पर मैसेज के जरिए मिलती थी। इसको बेहतर बनाने का प्रयास है। इससे पीआरवी की निगरानी में सहूलियत मिलेगी। इस एप के इस्तेमाल के लिए प्रापर ट्रेनिंग कराई जाएगी। ट्रायल के बाद इसको पूरी तरह से इम्लीमेंट में लाया जाएगा।

मोहित अग्रवाल, आईजी