- अयोध्या में विहिप की विराट धर्मसभा में स्वामी रामभद्राचार्य का एलान, 11 दिसंबर के बाद होगा बड़ा निर्णय

- धर्माचार्यो की चेतावनी, अध्यादेश की नौबत आई तो काशी-मथुरा भी लेंगे

- उम्मीद से ज्यादा उमड़ी भीड़ देख विहिप गदगद, कहा वक्फ बोर्ड वापस ले केस

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AYODHYA : श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के संकल्प के लिए अयोध्या में विहिप द्वारा आयोजित विराट धर्मसभा में देश भर के 127 संप्रदायों के साधु-संतों और अखाड़ों के महामंडलेश्वरों ने एक साथ हुंकार भरी। लाखों लोगों के जनसैलाब के बीच धर्माचार्यो ने एलान किया कि अब मंदिर निर्माण को लेकर इंतजार संभव नहीं है। अब या तो कानून बनाया जाए या फिर अध्यादेश लाकर राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त किया जाए। धर्मसभा की अध्यक्षता कर रहे निरंजनी अखाड़ा, हरिद्वार के महामंडलेश्वर स्वामी परमानंद महाराज ने मुस्लिम समुदाय और वक्फ बोर्ड से अपील करते हुए चेतावनी दे दी वे लोग स्वेच्छा से मंदिर बनने का रास्ता साफ कर दें। अगर अध्यादेश की नौबत आयी तो फिर अयोध्या ही नहीं, काशी और मथुरा भी लेंगे। वही, स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि 11 दिसंबर के बाद मंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार बड़ा निर्णय लेगी।

आतंकियों के लिए कोर्ट खुल सकती है तो मंदिर के लिए क्यों नहीं
अयोध्या के बड़े भक्त माल बगिया में आयोजित विराट धर्मसभा में सभास्थल को मंदिर आंदोलन की पुरानी स्मृतियों को जीवंत किया गया। मंच पर अशोक सिंहल, राम चंद्र परमहंस महराजए महंत अवेद्यनाथ के पुराने कार्यक्रमों और एलके आडवाणी की सोमनाथ से अयोध्या यात्रा की होर्डिग और तस्वीरों के साथ संघर्ष को याद दिलाने की भरपूर कोशिश की गई थी। सभा को संबोधित करते हुए रामानुजाचार्य राघवाचार्य जी महाराज ने कोर्ट के सुनवाई में देरी पर ऐतराज जताते हुए कहा कि आतंकवादियों के मुकदमे के लिए कोर्ट खुल सकती है तो मंदिर निर्माण के फैसले में देरी क्यों। दीपांकर जी महाराज ने भी कोर्ट में इतने समय तक मुकदमा लंबित रहने पर आक्रोश जताया। दीपांकर महाराज ने कहा कि प्रभु श्रीराम को लोग कहते हैं कि टेंट में हैं लेकिन, वह तो कैद में हैं और उन्हें कैद से बाहर लाना होगा।

मुस्लिम पक्ष दावा छोड़े
विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि मुस्लिम समाज ने वचन दिया है कि अगर अयोध्या में मंदिर सिद्ध हो गया तो हम दावा छोड़ देंगे। मेरा कहना है कि मुस्लिम वक्फ बोर्ड मुकदमा वापस ले ले और स्वेच्छा से यह स्थान हिंदू समाज के लिए छोड़ दे। भारत सरकार भी अपने वचन का पालन करे। राय ने यह भी कहा कि जहां विवाद है वहां खुदा भी नमाज स्वीकार नहीं करता। 500 वर्ष की नमाज खुदा ने स्वीकार नहीं की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से भी अनुरोध किया कि जल्द यह बताया जाए कि यह स्थान भगवान राम का है और यहां मस्जिद इनवैलिड है। अगर न्यायपालिका टालमटोल करे तो यह विधायिका का दायित्व है कि वह लोक भावनाओं का आदर करे। अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वामी परमानंद जी महाराज ने मुस्लिम समाज से राम मंदिर भूमि छोड़ देने के साथ यह भी कहा कि भाजपा सरकार प्रस्ताव लाए और कानून बनाए उसके पहले मुस्लिम संगठन मंदिर को समर्पित कर दें ताकि भाई चारा कायम रहे। हम साधु हैं, एक बार याचना करते हैं लेकिन, अगर नहीं सुनी तो अब रण होगा। वैसे कोर्ट का फैसला भी हमारे हक में आने वाला है। उन्होंने संतों के साथ संघ और विहिप की भूमिका पर भी संतोष जताया।

अंतिम बार रामलला टेंट में
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री और धर्मादेश के प्रमुख आयोजक स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि भगवान श्रीराम की अनदेखी करनी भारी पड़ेगी। लोक के अनुसार तंत्र को चलना पड़ेगा। उन्होंने कोर्ट से कहा कि आप फैसला करिए, हम निर्णय सुनने को तैयार हैं। हम विलंब के लिए तैयार नहीं हैं। राम मंदिर बने, इसका रास्ता चाहे संसद के गलियारे से या सुप्रीम कोर्ट से गुजरे। हमें तो राम मंदिर चाहिए। बस, अंतिम बार राम लला को टेंट में देखने आया हूं। इसके बाद उनका मंदिर होना ही चाहिएण्। सनकादिक आश्रम अयोध्या के महंत और संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ने कहा कि मंदिर निर्माण स्वतंत्र भारत के भाग्य का फैसला है। मैं सुप्रीम कोर्ट से पूछना चाहता हूं कि बाबर ने किस कोर्ट से पूछकर मंदिर तोड़ा था। दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने कहा कि हर कोर्ट से बड़ी जनता की कोर्ट है।

मोदी-योगी पर जताया भरोसा
राम मंदिर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी पर भरोसा भी जताया। रामजन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि मोदी और योगी से आशा है। मोदी को चाहिए कि वह मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करें। जगदगुरु रामानुजाचार्य वासुदेवाचार्य जी महाराज ने कहा कि भारतीय संविधान की पहली प्रति पर भगवान राम, सीता और हनुमान की तस्वीर छपी है। यह देश अभी तक अघोषित हिंदू राष्ट्र है लेकिन, अब घोषित हिंदू राष्ट्र बनने वाला है।

11 दिसंबर के बाद बड़ा निर्णय
चित्रकूट से आये पद्मविभूषण जगदगुरु रामभद्राचार्य जी महाराज ने अपने उद्बोधन से पूरे आयोजन को अलग दिशा दे दी। जगदगुरु ने कहा कि 23 नवंबर की रात्रि को साढ़े आठ बजे मोदी सरकार के एक सीनियर मंत्री से उनकी बातचीत हुई थी। उन्होंने कहा कि नाम नहीं बताऊंगा मंत्री ने सशपथ मुझसे कहा कि 11 दिसंबर के बाद प्रधानमंत्री और हम सब बैठकर कोई ऐसा निर्णय लेंगे कि राम मंदिर बनकर ही रहेगा। आप सभी संतों से कह दें कि हम विश्वासघात नहीं करेंगे। आचार संहिता समाप्त होने पर अध्यादेश या कानून का निर्णय लेंगे। इसमें आचार संहिता ने ही बाधा डाल दी। उन्होंने कहा कि अदालत भले न सुने लेकिन, जनता ने जिस विश्वास से योगी-मोदी को सत्ता में बिठाया है वह पूरा होगा। राम मंदिर निश्चित बनेगा।