-ओवरहेड टैंकों का हैंडओवर नहीं, कई हैंडपंप सूखे, कई जगह पानी की किल्लत

-शहर में रोजाना 140 एमएलडी पानी की जरूरत, हो रही 105 एमएलडी की सप्लाई

-गर्मियों में 160 एमएलडी पहुंची पानी की जरूरत, सप्लाई में जलकल विभाग नाकाम

BAREILLY: यूं तो विभाग शहर की प्यास बुझाने का दावा करता है, लेकिन खुद उसी के रिकार्ड इस बात की गवाही देते हैं कि सिटी की फ्भ् फीसदी आबादी अभी भी पानी की किल्लत से जूझ रही है। व‌र्ल्ड एनवायरमेंट डे के मौके पर सिटी में पानी की स्थिति पर एक रिपोर्ट------

कमजोर पड़ा जलकल विभाग

जलकल विभाग के इंतजाम गर्मी के तेवर के आगे नाकाफी हैं। विभाग पुरजोर कोशिश के बावजूद कुल मांग की लगभग तीन चौथाई ही पानी की सप्लाई कर सका है। यह स्थिति पिछले कई साल से बनी है, जिसमें सुधार नहीं हो सका। गर्मियों में विभाग का प्रदर्शन और कमजोर हो गया है। शहर की मांग के मुताबिक विभाग बमुश्किल म्भ् फीसदी ही पानी की जरूरत पूरी कर पा रहा है। एजाज नगर, जगतपुर, संजयनगर, कालीबाड़ी, नेकपुर-मढ़ीनाथ, कांकर टोला व सूफी टोला समेत कई एरियाज पानी की किल्लत या गंदगी की समस्या से जूझ रहे।

क्म्0 एमएलडी पहुंची मांग

शहर के सभी 70 वार्ड समेत सीमा से जुड़े इलाकों मे रोजाना करीब क्ब्0 एमएलडी पानी की जरूरत है, लेकिन जलकल विभाग कभी भी क्0भ् एमएलडी पानी से ज्यादा शहर को सप्लाई नहीं कर सका है। यह सच खुद विभाग मान रहा है। पिछले एक महीने से शहर की पानी की मांग क्ब्0 से बढ़कर क्म्0 एमएलडी पहुंच गई है, लेकिन पहले से ही शहर की पानी की जरूरत को पूरा करने में नाकाम जलकल विभाग इस बढ़ी मांग को पूरा करने के इंतजाम करने में भी बेबस है।

नए नलकूप-टैंकों से सप्लाई नहीं

शहर की कमजोर पेयजल व्यवस्था को मजबूत करने को सेंट्रल गर्वनमेंट व स्टेट गर्वनमेंट की ओर से यूआईडीएसएएमटी योजना शुरू की गई। कुल 78.0ब् करोड़ की लागत वाली इस योजना से ख्0क्फ् में शहर में क्7 ओवरहेड टैंक व ख्9 नलकूपों के निर्माण का काम शुरू हुआ। इस योजना के पूरा होने से शहर की पानी की किल्लत खत्म होने की उम्मीद बंधी, लेकिन पहले योजना में सरकारी जांच का अडं़गा और फिर बजट जारी होने के बाद भी कई ओवरहेड टैंकों का जलकल विभाग को हैंडओवर न होने से पानी की सप्लाई शुरू न हो सकी।

नए हैंडपंप भी नहीं मिले

नए ओवरहेड टैंक व नलकूपों से पानी की सप्लाई न हो पाने और बिजली की कटौती के चलते पानी के लिए बेहाल शहर को सरकारी हैंडपंप से भी पानी से ज्यादा नाउम्मीदी नसीब हो रही। निगम की ओर से शहर में ख्म्म्0 हैंडपंप लगवाए गए हैं। इनमें से करीब ख्0 परसेंट या तो सूख चुके हैं या फिर पानी बेहद कम आ रहा है। हालांकि जलकल विभाग अपने आंकड़ों में महज ख्00 सूखे हैंडपंप ही दिखा रहा जिनमें से क्फ्भ् की अब तक री-बोरिंग किए जाने का दावा कर रहा है। वहीं निगम की ओर से जलकल विभाग को इस बार फ् करोड़ रुपए का बजट जारी कर जरूरतमंद इलाकों में नए हैंडपंप लगाने के निर्देश दिए गए। लेकिन मई खत्म होने के बावजूद कई एरियाज में प्रस्तावित हैंडपंप लगवाने का काम शुरू भी न हो सका।

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साफ पानी का दावा

पानी की किल्लत के साथ ही शहर की दूसरी बड़ी परेशानी गंदे खराब पानी की सप्लाई भी है। कई इलाकों में सीवर लाइन या नाले के पास से पानी की पाइप लाइन होने से जलकल विभाग में खराब पानी की शिकायतें लगातार बनी हुई है। शहर के पानी की क्वालिटी परखने को जलकल के पास अपनी कोई लैबोरेट्री नहीं। ऐसे में जलकल की ओर से पानी का सैंपल लखनऊ प्रोविंस हायजीन इंस्टीट्यूट, पीएचआई को जांच के लिए भेजा जाता है। जलकल जीएम एमएल मौर्या के मुताबिक अब तक मिली जांच रिपोर्ट में बरेली के पानी में आर्सेनिक, कैल्शियम या दूसरे खतरनाक केमिकल नहीं पाए गए हैं। वहीं शहर में रोजाना ही विभाग की टीम पानी में क्लोरीन की मात्रा जांचने को ओटी टेस्ट करती है।

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शहर में पानी की व्यवस्था

कुल नलकूप - 8क्

पुराने नलकूप - भ्ख्

नए नलकूप - ख्9

कुल ओवरहेड टैंक - फ्9

पुराने ओवरहेड टैंक - ख्ख्

नए ओवरहेड टैंक - क्7

कुल हैंडपंप - ख्म्म्0

खराब हैंडपंप - ख्00

री-बोर किए गए हैंडपंप - क्फ्भ्

आम दिनों में पानी की मांग -क्ब्0 एमएलडी

गर्मियों में पानी की मांग - क्म्0 एमएलडी

जलकल से रोजाना सप्लाई - क्0भ् एमएलडी

हर दिन पानी बर्बादी - भ्-क्0 एमएलडी

मई में शहर में हुई ओटी टेस्ट - क्ख्00