- शहर में महापुरुषों, संत, महात्मा और या किसी हस्ती की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए डीएम देंगे हरी झंडी

- डीएम प्रॉपर जांच कराने के बाद लेंगे शासन और मुख्यमंत्री से लेनी पड़ेगी इजाजत

- सरकारी विभागों में नहीं लागू होगी व्यवस्था

GORAKHPUR: संत हो या फिर कोई महात्मा, महापुरुष या शहर की कोई अजीम शख्सियत, अब शहर में उनकी प्रतिमाओं के स्थापना की राह आसान न होगी। पहले सिर्फ सार्वजनिक स्थानों पर ही ऐसे लोगों की प्रतिमा लगाने की चाह रखने वाले लोगों को जिम्मेदारों की परमिशन लेनी पड़ती थी, मगर अब उन्हें निजी जमीन पर भी उनको जगह देने के लिए लोकल एडमिनिस्ट्रेशन के साथ ही शासन की हरी झंडी के लिए भी इंतजार करना पड़ेगा। वहां से रिजेक्ट होने की कंडीशन में उन्हें शहर में किसी सूरत में जगह नहीं मिल सकेगी। महापुरुषों की प्रतिमा की स्थापना में आए दिन हो रहे बवाल को देखते हुए शासन ने यह निर्णय लिया है। इसके लिए बाकायदा पूरी प्रॉसेस तय कर दी गई है, जिसके पूरी होने के बाद ही ऐसे लोगों की प्रतिमाएं स्थापित हो पाएंगी।

वबाल को देखते हुए डिसीजन

प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों पर नई प्रतिमा स्थापित करने के लिए अगर कोई आवेदन करता है, तो उसे नगर निगम या संबंधित निकाय की परमिशन लेनी पड़ती है। यह आदेश 2007 से ही चला आ रहा है। मगर निजी स्थानों के लिए ऐसा नहीं था। कुछ सालों से ऐसा देखा जा रहा है कि प्रतिमा लगाने के बाद कुछ स्थानों पर प्रतिमा तोड़ दी गई, जिसकी वजह से काफी बवाल भी हुआ। इस मामले को शासन ने सख्त कदम उठाते हुए यह फैसला लिया है कि निजी स्थानों पर भी प्रतिमा लगाने पर शासन की परमिशन लेनी पड़ेगी। हरी झंडी मिलने के बाद ही प्रतिमा की स्थापना की जा सकती है।

यह है प्रॉसेस -

- जब भी कोई व्यक्ति किसी महापुरुष की नई प्रतिमा स्थापित करता है, तो उसे संबंधित डीएम ऑफिस में आवेदन करना होगा।

- डीएम जगह का स्थलीय निरीक्षण कराकर अपनी संस्तुति गृह विभाग को भेजेंगे।

- डीएम की संस्तुति पर शासन लेवल प्राप्त होने पर गृह विभाग में इसका परीक्षण किया जाएगा।

- इसके बाद मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री का अनुमोदन लिया जाएगा।

- मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद शासन स्तर से अनुमति दी जाएगी।

इन प्वाइंट्स पर होगी जांच -

- जिस भूमि पर महापुरुषों की प्रतिमा लगाई जानी प्रस्तावित है, वह भूमि सार्वजनिक है या निजी।

- अगर कोई सार्वजनिक भूमि है, तो संबंधित निकाय की स्पष्ट संस्तुति या अनापत्ति ली गई है या नहीं।

- अगर किसी व्यक्ति की निजी भूमि है तो संबंधित भूमि मालिक कर लिखित सहमति पत्र साथ लगा है या नहीं।

- जो संस्था या संगठन प्रतिमा लगाना चाहते हैं, इसकी ओर से लिखित प्रस्ताव दिया गया है या नहीं।

- महापुरुष की प्रतिमा लगाए जाने पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के संबंध में डीएम/एसएसपी की ज्वाइंटली साइन की आख्या है या नहीं।

- पुरानी प्रतिमा हटाकर नई प्रतिमा लगाए जाने की कंडीशन में पुरानी संस्था जिसने प्रतिमा लगवाई थी, उसकी सहमति।

- वह जमीन जहां प्रतिमा स्थापित की जानी है, विवादग्रस्त हो या उसके बारे में मुकदमा चल रहा हो, तो उसकी अद्यतन स्थिति के बारे में आख्या भेजी जाए। कोई स्थगनादेश हो, तो उसकी कॉपी भी भेजी गई है या नहीं।

किसी भी निजी या सार्वजनिक स्थान पर प्रतिमा स्थापना के लिए जिलाधिकारी के माध्यम से शासन की परमिशन लेनी होगी। इसकी जांच और शासन की संस्तुति के बाद ही प्रतिमा स्थापित की जा सकती है।

- रजनीश चंद, एडीएम सिटी